प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल गठन के सिलसिले में उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर भी बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में इस बार शिव प्रताप शुक्ला को शामिल नहीं किया है. पूर्व सरकार में वित्त राज्य मंत्री रहे शुक्ला को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धुर विरोधी माना जाता है. इस बदलाव से मोदी ने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल उनका योगी पर विश्वास बरकरार है और वही राज्य में उनका और पार्टी का चेहरा हैं.सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह से मोदी ने राजपूत समुदाय से आने वाले राजनाथ सिंह को गृह से रक्षा मंत्रालय में भेजा है, उससे भी यह संकेत जाता है कि उत्तर प्रदेश में राजपूतों के चेहरे के तौर पर केंद्रीय नेतृत्व योगी को मजबूत करना चाहता है. गृह मंत्रालय के जरिये प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राज्य में किसी नेता का दखल हो सकता है और वह राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकता है. रक्षा मंत्रालय राज्य में वैसा प्रभाव नहीं डाल सकता है.
ऐसे में माना जा रहा है कि यह कदम योगी को ही राजनीतिक लाभ पहुंचाएगा. यही नहीं, केंद्र में उत्तर प्रदेश से ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं लाया गया है. वहां से मंत्रिमंडल में महेंद्र नाथ पांडेय को लिया गया है, लेकिन उन्हें कौशल उद्यमिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया है जो बड़ा मंत्रालय नहीं माना जाता है.एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में सब कुछ ठीक है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के आधार पर किसी के भविष्य का आकलन करना पूरी तरह से सही नहीं है. योगी सरकार को भाजपा आलाकमान का आशीर्वाद हासिल है. आलाकमान के इस विश्वास के कारण योगी सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है.