लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड बहुमत मिल जाने के बाद एनडीए में शुरू हो गया है घमासान, जदयू ने मोदी कैबिनेट में सांकेतिक प्रतिनिधित्व पर नाराज होकर कर दिया है इंकार, 31 मई की दोपहर पटना पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र की मोदी सरकार में अब कभी भी शामिल नहीं होगा जदयू, मंत्रिपरिषद में हमारी पार्टी की भागीदारी नहीं होने पर हमें कोई चिंता, परेशानी या अफसोस नहीं, लेकिन कैबिनेट में घटक दलों का होना चाहिए आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व, मुख्यमंत्री के इस ऐलान से बिहार एनडीए की सेहत पर असर पड़ने के हैं पूरे आसार...
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जो भी होना था हो गया। प्रारंभ की बातचीत ही आखिरी होती है। हमारे पास जो प्रस्ताव आया था, उसमें सरकार में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। जदयू ने बिहार के हित को ध्यान में रखते हुए भाजपा के साथ हाथ मिलाया था ताकि बिहार का पिछड़ापन समाप्त हो सके।मुख्यमंत्री ने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूं कि भविष्य में केन्द्रीय कैबिनेट में हमारे शामिल होने का कोई प्रश्न नहीं है। अब उसकी कोई जरूरत नहीं है। वरना लोग कहेंगे कि हम तब नाराज थे और अब हमारी मांग पूरी हो गई तो हम सरकार में शामिल हो रहे हैं। एलायंस में प्रारंभ में जो बातें होती हैं, वही आखिरी होती है। इस मसले पर हमारी पीएम मोदी से बात नहीं हुई। बातचीत भूपेंद्र यादव या अमित शाह से ही हो रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर 29 मई को हम दिल्ली गए थे। उसी समय यह बात कही गई थी कि एनडीए के सभी घटक दलों से कैबिनेट में सांकेतिक रूप से एक-एक सीट पर प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। जदयू की लोकसभा में 16 जबकि राज्यसभा में 6 सीटें हैं। हमने कभी कोई प्रपोजल नहीं दिया। लेकिन कैबिनेट में सांकेतिक रूप से शामिल होने के मसले पर हमारी पार्टी की कोर टीम में शामिल नेताओं ने साफ इंकार कर दिया। सरकार में शामिल होना ही साथ होने का प्रमाण नहीं है, हमलोग पूरे तौर पर एनडीए के साथ हैं।