हम राजनीती एवं इतिहास का एक अभूतपूर्व मिश्रण हैं.हम अपने धर्म की ऐतिहासिक तर्क-वितर्क की परंपरा को परिपुष्ट रखना चाहते हैं.हम विविध क्षेत्रों,व्यवसायों,सोंच और विचारों से हो सकते हैं,किन्तु अपनी संस्कृति की रक्षा,प्रवर्तन एवं कृतार्थ हेतु हमारा लगन और उत्साह हमें एकजुट बनाये रखता है.हम एक ऐसे प्रपंच में कदम रख रहें हैं जहां हमारे धर्म,शास्त्रों नियमों को कुरूपता और विकृति के साथ निवेदित किया जा रहा है.हम अपने धार्मिक ऐतिहासिक यथार्थता को समाज के सामने स्पष्ट करना चाहते है,जहाँ पुराने नियम प्रसंगगिक नहीं रहे.हम आपके विचारों के प्रतिबिंब हैं,हम आपकी अभिव्यक्ति के स्वर हैं और हम आपको निमंत्रित करते हैं,आपका अपना मंच 'BHARATIDEA' पर,सारे संसार तक अपना निनाद पहुंचायें!

राजेन्द्र प्रसाद की पूर्ण जीवनी, एक बार जरूर पढ़े ।



नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जीवनी के बारे में तो आइए जानते हैं, कौन थे राजेंद्र प्रसाद? क्या थे राजेंद्र प्रसाद ? और कैसा रहा उनका जीवन?

राजेन्द्र प्रसाद की पूर्ण जीवनी, एक बार जरूर पढ़े ।

डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद :- राष्ट्रपति के सूचि में पहला नाम डॉ राजेन्द्र प्रसाद का आता है. जो भारतीय संविधान के आर्किटेक्ट और आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति भी थे. उनका जन्म 1884 में हुआ था और डॉ प्रसाद, महात्मा गांधी के काफी करीबी सहयोगी भी थे. इसी वजह से वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में भी शामिल हो गए थे और बाद में बिहार क्षेत्र के प्रसिद्ध नेता बने.नमक सत्याग्रह के वे सक्रीय नेता थे और भारत छोडो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया था और ब्रिटिश अधिकारियो को घुटने टेकने पर मजबूर किया था.





  • डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का परिचय :
  • पूरा नाम :राजेंद्र प्रसाद महादेव सहाय
  • जन्म:3 दिसंबर 1884
  • जन्मस्थान :जिरादेई (जि. सारन, बिहार)
  • पिता:महादेव
  • माता :कमलेश्वरी देवी
  • शिक्षा:1907  में कोलकता विश्वविद्यालय से M.A., 1910 में बॅचलर ऑफ लॉ उत्तीर्ण, 1915 में मास्टर ऑफ लॉ उत्तीर्ण.
  • विवाह:राजबंस  देवी के साथ




डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारतीय लोकतंत्र के पहले राष्ट्रपति थे.साथ ही एक भारतीय राजनीती के सफल नेता, और प्रशिक्षक वकील थे. भारतीय स्वतंत्रता अभियान के दौरान ही वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल हुए और बिहार क्षेत्र से वे एक बड़े नेता साबित हुए.महात्मा गाँधी के सहायक होने की वजह से, प्रसाद को ब्रिटिश अथॉरिटी ने 1931 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में जेल में डाला.राजेन्द्र प्रसाद ने 1934 से 1935 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भारत की सेवा की. और 1946 के चुनाव में सेंट्रल गवर्नमेंट की फ़ूड एंड एग्रीकल्चर मंत्री के रूप में सेवा की. 1947 में आज़ादी के बाद, प्रसाद को संघटक सभा में राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया.

1950 में भारत जब स्वतंत्र गणतंत्र बना, तब अधिकारिक रूप से संघटक सभा द्वारा भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया.इसी तरह 1951 के चुनावो में, चुनाव निर्वाचन समिति द्वारा उन्हें वहा का अध्यक्ष चुना गया.राष्ट्रपति बनते ही प्रसाद ने कई सामाजिक भलाई के काम किये, कई सरकारी दफ्तरों की स्थापना की और उसी समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया.राज्य सरकार के मुख्य होने के कारण उन्होंने कई राज्यों में पढाई का विकास किया कई पढाई करने की संस्थाओ का निर्माण किया और शिक्षण क्षेत्र के विकास पर ज्यादा ध्यान देने लगे.उनके इसी तरह के विकास भरे काम को देखकर 1957 के चुनावो में चुनाव समिति द्वारा उन्हें फिर से राष्ट्रपति घोषित किया गया और वे अकेले ऐसे व्यक्ति बने जिन्हें लगातार दो बार भारत का राष्ट्रपति चुना गया.




एक नजर में  डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जानकारी :
  • 1906 में राजेंद्र बाबु के पहल से ‘बिहारी क्लब’ स्थापन हुवा था,उसके सचिव बने.
  • 1908 में राजेंद्र बाबु ने मुझफ्फरपुर के ब्राम्हण कॉलेज में अंग्रेजी विषय के अध्यापक की नौकरी मिलायी और कुछ समय वो उस कॉलेज के अध्यापक के पद पर रहे.
  • 1909 में कोलकत्ता सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र इस विषय का उन्होंने अध्यापन किया.
  • 1911 में राजेंद्र बाबु ने कोलकता उच्च न्यायालय में वकीली का व्यवसाय शुरु किया.
  • 1914 में बिहार और बंगाल इन दो राज्ये में बाढ़ के वजह से हजारो लोगोंको बेघर होने की नौबत आयी. राजेंद्र बाबु ने दिन-रात एक करके बाढ़ पीड़ितों की मदत की.
  • 1916 में उन्होंने पाटना उच्च न्यायालय में वकील का व्यवसाय शुरु किया.
  • 1917 में महात्मा गांधी चंपारन्य में सत्याग्रह गये ऐसा समझते ही राजेंद्र बाबु भी वहा गये और उस सत्याग्रह में शामिल हुये.
  • 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में वो शामील हुये.इसी साल में उन्होंने ‘देश’ नाम का हिंदी भाषा में साप्ताहिक निकाला.
  • 1921 में राजेंद्र बाबुने बिहार विश्वविद्यालय की स्थापना की.
  • 1924 में पाटना महापालिका के अध्यक्ष के रूप में उन्हें चुना गया.
  • 1928 में हॉलंड में ‘विश्व युवा शांति परिषद’ हुयी उसमे राजेंद्र बाबुने भारत की ओर से हिस्सा लिया और भाषण भी दिया.
  • 1930 में अवज्ञा आंदोलन में ही उन्होंने हिस्सा लिया। उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया.जेल में बुरा भोजन खाने से उन्हें दमे का विकार हुवा.उसी समय बिहार में बड़ा भूकंप हुवा.खराब तबियत की वजह से उन्हें जेल से छोड़ा गया.भूकंप पीड़ितों को मदत के लिये उन्होंने ‘बिहार सेंट्रल टिलिफ’की कमेटी स्थापना की. उन्होंने उस समय २८ लाख रूपयोकी मदत इकठ्ठा करके भूकंप पीड़ितों में बाट दी.
  • 1934 में मुबंई यहा के कॉग्रेस के अधिवेशन ने अध्यपद कार्य किया.
  • 1936 में नागपूर यहा हुये अखिल भारतीय हिंदी साहित्य संमेलन के अध्यक्षपद पर भी कार्य किया.
  • 1942 में ‘छोडो भारत’ आंदोलन में भी उन्हें जेल जाना पड़ा.
  • 1946 में पंडित नेहरु के नेतृत्व में अंतरिम सरकार स्थापन हुवा। गांधीजी के आग्रह के कारन उन्होंने भोजन और कृषि विभाग का मंत्रीपद स्वीकार किया.
  • 1947 में राष्ट्रिय कॉग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुना गया. उसके पहले वो घटना समिती के अध्यक्ष बने,घटना समीति को कार्यवाही दो साल, ग्यारह महीने और अठरा दिन तक चला.घटना का मसौदा बनाया,26 नव्हंबर, 1949 को वो मंजूर हुवा और 26 जनवरी, 1950 को उसपर अमल किया गया.भारत प्रजासत्ताक राज्य बना. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति होने का सम्मान राजेन्द्रबाबू को मिला.
  • 1950 से 1962 ऐसे बारा साल तक उनके पास राष्ट्रपती पद रहा. बाद में बाकि का जीवन उन्होंने स्थापना किये हुये पाटना के सदाकत आश्रम में गुजारा.
  • हम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में याद करते है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अभियान में भी मुख्य भूमिका निभाई थी और संघर्ष करते हुए देश को आज़ादी दिलवायी थी.
  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद में भारत का विकास करने की चाह थी. वे लगातार भारतीय कानून व्यवस्था को बदलते रहे और उपने सहकर्मियों के साथ मिलकर उसे और अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करने लगे. हम भी भारत के ही रहवासी है हमारी भी यह जिम्मेदारी बनती है की हम भी हमारे देश के विकास में सरकार की मदद करे.ताकि दुनिया की नजरो में हम भारत का दर्जा बढ़ा सके.


डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ग्रंथसंपदा
- डीव्हायडेड इंडिया
- आत्मकथा
- चंपारन्य सत्याग्रह का इतिहास आदी

पुरस्कार : 1962 में ‘भारतरत्न’ ये सर्वोच्च भारतीय सम्मान उनको प्रदान किया गया.
मृत्यू :  28 फरवरी 1963 को उनकी मौत हुयी.

हमारे फेसबुक पेज को जरूर लाइक करे। 


About