नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में, तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं राफेल डील के बारे में जिसको लेकर कांग्रेस सरकार ने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे लेकिन अब मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि क्यों और कैसे खरीदा गया राफेल साथ ही साथ सार्वजनिक की पूरी प्रक्रिया.
क्या है मामला:
जी हां दोस्तों आपने सही सुना जैसा कि आप सब को पता है बीते कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते आ रहे थे और कह रहे थे की सरकार राफेल डील की साड़ी जानकारी सार्वजनिक करें. राफेल विमान डील पर छिड़े विवाद ने अभी तक राजनीतिक तूल पकड़ा हुआ है. राजनीति के अलावा इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है, जिसको लेकर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील से जुड़े सभी दस्तावेज कोर्ट को सौंपी. केंद्र सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में जो भी फैसले लिए हैं, उन सभी की जानकारी याचिकाकर्ता को सौंप दी गई है . राफेल विवाद से जुड़ी याचिका वरिष्ठ वकील एम.एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी .केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुल 9 पेज के दस्तावेज सोते हैं जिनमें इस डील का पूरा इतिहास तथा प्रक्रिया समझाया गया है.
नीचे पीडिफ खोल दस्तावेज पढे.
जी हां दोस्तों आपने सही सुना जैसा कि आप सब को पता है बीते कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते आ रहे थे और कह रहे थे की सरकार राफेल डील की साड़ी जानकारी सार्वजनिक करें. राफेल विमान डील पर छिड़े विवाद ने अभी तक राजनीतिक तूल पकड़ा हुआ है. राजनीति के अलावा इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है, जिसको लेकर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील से जुड़े सभी दस्तावेज कोर्ट को सौंपी. केंद्र सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में जो भी फैसले लिए हैं, उन सभी की जानकारी याचिकाकर्ता को सौंप दी गई है . राफेल विवाद से जुड़ी याचिका वरिष्ठ वकील एम.एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी .केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुल 9 पेज के दस्तावेज सोते हैं जिनमें इस डील का पूरा इतिहास तथा प्रक्रिया समझाया गया है.
नीचे पीडिफ खोल दस्तावेज पढे.
पूरी जानकारी की गई सार्वजनिक:
आप की जानकारी हेतु बता दे कि दस्तावेजों में कहा गया है कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन 1 साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राफेल पर भारतीय ऑफसेट पार्टनर चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी यह पूरी तरह से ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर यानी देसाल्ट एविएशन का फैसला था. दस्तावेज में बताया गया है कि ऑफसेट पार्टनर का चुनाव दो निजी कंपनियों का फैसला था इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.
आप की जानकारी हेतु बता दे कि दस्तावेजों में कहा गया है कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन 1 साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राफेल पर भारतीय ऑफसेट पार्टनर चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी यह पूरी तरह से ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर यानी देसाल्ट एविएशन का फैसला था. दस्तावेज में बताया गया है कि ऑफसेट पार्टनर का चुनाव दो निजी कंपनियों का फैसला था इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.
कांग्रेस के सारे आरोप साबित हुए बेबुनियाद:
आपको बता दें कि अपनी याचिका में याचिकाकर्ता के द्वारा अपील की गई थी कि केंद्र सरकार को राफेल विमान के दाम सार्वजनिक करने चाहिए. देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मामले में सरकार पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाती रही है हालांकि सरकार का पक्ष रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर राफेल विमान की कीमतों का खुलासा नहीं किया जा सकता लेकिन अब राफेल की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने के बाद कांग्रेस पूरी तरह से चित हो चुकी है.
आपको बता दें कि अपनी याचिका में याचिकाकर्ता के द्वारा अपील की गई थी कि केंद्र सरकार को राफेल विमान के दाम सार्वजनिक करने चाहिए. देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मामले में सरकार पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाती रही है हालांकि सरकार का पक्ष रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर राफेल विमान की कीमतों का खुलासा नहीं किया जा सकता लेकिन अब राफेल की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने के बाद कांग्रेस पूरी तरह से चित हो चुकी है.