बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोहराई विशेष दर्जा की मांग।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। राष्ट्रपति भवन में रविवार को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उन्होंने अपनी इस मांग को रखा। बिहार को क्यों यह दर्जा मिलने चाहिए इस पर भी उन्होंने विस्तार से अपनी बातें रखी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर क्षेत्रीय और अंतर्राज्जीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों जैसे प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य ,ऊर्जा और मानव विकास के सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है।
तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और राशि वितरण पद्धति को प्रोत्साहित करें जिससे पिछड़ी राज जियो को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में मदद मिले हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी अवधारणा पर आधारित है हमने लगातार केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है।
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बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का कहना था कि विशेष राज्य दर्जा मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
नीतीश कुमार ने जो भी कहा कि बिहार की हिस्सेदारी लगातार कम हुई:१४वे वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत राज्यों के अंतरण को ३२ प्रतिशत से बढ़ाकर ४२ प्रतिशत किया गया है। यह मात्र एक संरचनात्मक परिवर्तन है। एक ओर कर अन्तरणों मैं वृद्धि के कारण राज्यों की हिस्सेदारी बड़ी है, वही दूसरी और केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय योजनाओं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के आवंटन में कटौती कर दी गई। इसके कारण बिहार का हिस्सा १०.९१ प्रतिशत से घटकर ९.६६ हो गया।११वे वित्त आयोग में बिहार के राजस्व हिस्सेदारी ११.५९ फीसदी थी,जो १२वे वित्त आयोग में घटकर ११.०३ फीसदी हो गई थी ।
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और भी बहुत सारे बातों पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने बातें की।
सम्पादक:आशुतोष उपाध्याय