वैसे तो संघ परिवार के बारे में हम सब जानते है लेकिन संघ ने इस बार अपनी कद और ऊंची कर ली जब सरसंघचालक ने कुछ परम्पराओ को पूर्व राष्ट्पति के लिए तोरी, पढ़े पूरी खबर :
वैसे तो अतिथि के स्वागत के लिए संघ के शहर या प्रान्त पदाधिकारी जाते है, लेकिन प्रणव डा के स्वागत के लिए सहसरकार्यवाह वही भगयेया और अखिल भारतीय सह संपर्क सुनील देशपांडे पहुंचे थे।
संघ के बुलावे पर नागपुर आये प्रणव मुखर्जी राजभवन में रुके, चुकी वो मेहमान थे इसलिए पहली बार खुद सरसंचालक मोहन भगवत ने राजभवन पहुँच उनसे मुलाकात की, इससे पहले ऐसी मुलकात सरसंचालक ने खुद जा कर नहीं की थी।
प्रणव दा को परम पूजनीय डॉक्टर साहब पर पुष्प अर्पित करने को कहा गया जिसको उन्होंने तुरंत मान लिया जिसके बाद प्रणव मुखर्जी के स्वागत के लिए मोहन भगवत खुद पहुंचे।
आमतौर पर तृतीये वर्ग शिक्षा वर्ग में पहले अतिथि का भासन होता है बाद में संघचालक का लेकिन इस बार उल्टा हुआ, इस बार पहले मोहन भागवत जी बोले।
सरसंघचालक ले बाद प्रणव मुखर्जी का भासन था और माइक हल्की ऊंची थी जिसको तुरंत मोहन भागवत जी ने खड़े होकर ठीक किया, आमतौर पर ऐसी स्थिति में स्वयंसेवक खुद इन चीजों को ठीक करने आजाते है।
वैसे तो अतिथि के स्वागत के लिए संघ के शहर या प्रान्त पदाधिकारी जाते है, लेकिन प्रणव डा के स्वागत के लिए सहसरकार्यवाह वही भगयेया और अखिल भारतीय सह संपर्क सुनील देशपांडे पहुंचे थे।
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संघ के बुलावे पर नागपुर आये प्रणव मुखर्जी राजभवन में रुके, चुकी वो मेहमान थे इसलिए पहली बार खुद सरसंचालक मोहन भगवत ने राजभवन पहुँच उनसे मुलाकात की, इससे पहले ऐसी मुलकात सरसंचालक ने खुद जा कर नहीं की थी।
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प्रणव दा को परम पूजनीय डॉक्टर साहब पर पुष्प अर्पित करने को कहा गया जिसको उन्होंने तुरंत मान लिया जिसके बाद प्रणव मुखर्जी के स्वागत के लिए मोहन भगवत खुद पहुंचे।
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आमतौर पर तृतीये वर्ग शिक्षा वर्ग में पहले अतिथि का भासन होता है बाद में संघचालक का लेकिन इस बार उल्टा हुआ, इस बार पहले मोहन भागवत जी बोले।
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सरसंघचालक ले बाद प्रणव मुखर्जी का भासन था और माइक हल्की ऊंची थी जिसको तुरंत मोहन भागवत जी ने खड़े होकर ठीक किया, आमतौर पर ऐसी स्थिति में स्वयंसेवक खुद इन चीजों को ठीक करने आजाते है।
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