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जानिए वो बाते जो शायद पहले कभी नहीं हुआ कर्नाटक चुनाव के दौरान

आज हम बात करने वाले है कर्नाटक चुनाव के उन पहलुओं पर जो पहले कभी नहीं हुआ।

कांग्रेस का हाल :
  • जैसा की आप सब को पता है कि अभी कर्नाटक में कांग्रेस सत्ताधारी है और अभी के चुनाव में अगर कांग्रेस हार जाती है तो पार्टी सिर्फ 2 राज्य पंजाब और पांडुचेरी में सिमट के रह जाएगी जो की कांग्रेस के लिए आजादी के बाद से अब तक का सबसे बुरा समय होगा। 
पहली बार कर्नाटक में किसी प्रधानमंत्री की 21 रैलिया :
  • कर्णाटक में बदले समीकरण के कारण बीजेपी को भी अपनी रणनीति बदलनी परी शायद इसीलिए प्रधानमंत्री की रैलियो की संख्या जो पहले 15 निर्धारित थी उसे बढाकर 21 कर दि गयी है। संभवतः राज्य के 62 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है की कोई प्रधानमंत्री इतनी रैलिया कर रहे है। 
पहली बार जेडीएस को बसपा समेत 4 दलों का समर्थन :
  • कर्नाटक में 224 सीटों में से 36 सीट एससी और 15 सीट एसटी के लिए सुरछित है। कुल मिला कर इन 51 सीटों में से जेडीएस को 2008 में 2  और 2013 में 13 सीट मिली थी। 2013 में बसपा को 0.9%और जेडीएस को 20.2% वोट मिले थे, अगर इन दोनों को मिला दिया जाये तो बीजेपी के वोट शेयर 19.9% से जयदा हो जाते है। 
  • इन 51 सीटों के अलावा राज्य के करीब 60 सीटों पर दलित समुदाय और 40 सीटों पर आदिवासी समुदाय असर डालते है, यही वजह है की बसपा ने 1996 के बाद पहली बार चुनाओ से पहले किसी दल के साथ गठबंधन किया है और ये गठबंधन जेडीएस से हुआ है। इस गठबंधन में बसपा 22 सीटों पर तो जेडीएस 201 सिट पर लड़ रही है। 
  • जेडीएस को बसपा समेत बीजेपी विरोधी एनसीपी, एआईएमआईएम और तेलगु देसम पार्टी टीआरएस का समर्थन है  जिसके कारण जेडीएस को 20 सीटों पर फायदा मिलने का अनुमान है। 
  • एआईएमआईएम पहले 60 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली थी लेकिन जेडीएस को समर्थन देने के बाद एआईएमआईएम ने कोई नॉमिनेशन नहीं भरा। राज्य में तक़रीबन 13% मुस्लिम्स है जो कि एआईएमआईएम के कारण जेडीएस को समर्थन देंगे। वही चंद्रशेखर राव ने तेलगु भासियो से जेडीएसको वोट देने की अपील  की है। 
लिंगायतों का रुख साफ़ नहीं : 
  • अभी से पहले जितने भी चुनाव हुए थे उसमे लिंगायत समुदाय का रुझान स्पष्ट रहा था लेकिन इस बार चुनाव से पहले कांग्रेस ने ऐलान किया है की वो लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देंगे बस इसी कारण से मामला फंस गया है की लिंगायत समुदाय किधर जाएगी। 
  • 1980 के दशक में राज्य में जनता दल के नेता रामकृष्ण हेगड़े  पर लिंगायतों ने भरोसा जताया था। बाद में ये समुदाये  कोंग्रेस के वीरेंद्र पाटिल के साथ आया, 1989 में कांग्रेस की सरकार बनी और पाटिल मुख्यमंत्री चुने गए लेकिन राजीव गान्धी ने उन्हें इस पद से हटा दिया जिसके बाद लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस को समर्थन देना बंद कर दिया था।
  •  लिंगायत समुदाय इसके बाद हेगड़े के समर्थन में आये लेकिन 2004 में हेगड़े की मौत के बाद लिंगायत समुदाय ने यदुरप्पा को अपना नेता चुना लेकिन जब 2011 में बीजेपी ने यदुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया तो इस समुदाय ने बीजेपी से दुरी बना ली। 

2013 की वोट संख्या सीटों के आधार पर :
  • कांग्रेस :122, 
  • जेडीएस:40, 
  • बीजेपी:40, 
  • अन्य:22 

2013 की वोट प्रतिसत :
  • कांग्रेस: 36.6%, 
  • जेडीए: 20.2%,
  • बीजेपी: 19.9 %, 
  • अन्य: 23.3%
भारत आईडिया का विचार इस खबर पर :
भारत आईडिया का इस खबर पर ये मानना है की पिछले 5 वर्षो में कर्नाटका की स्थिति काफी दैन्य रही है चाहे हम भ्रस्टाचार की बात करे या जाती के आधार पर हिन्दुओ को बाटना या संघ के कार्यकर्ताओ के कत्लेआम की बात हो हर पहलु में कही न कही कांग्रेस जिम्मेदार रही है इन चीजों के लिए, सो भारत आईडिया के हिसाब से इस बार कर्नाटक की जनता को बीजेपी को वोट देना चाहिए।

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