पढ़िए सोचिये समझिये क्यों एकता ही है , हमारी ताकत अब खुद में लड़ना बंद करे देश को मजबूत करे।
बैंगलोर :
भारत में विशेष समुदाय का दर्जा जो धर्म ले बैठी है , उस समुदाय के बारे में एक चीज समझ नहीं आती की इनके पास अक्ल है भी या नहीं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने (SC/ST)ACT में एक संशोधन कर दिया तो मानो देश की राजनीती में भूचाल आगया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को दलितों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया और हद तो तब हो गयी जब मायावती से लेकर ममता बनर्जी , केजरीवाल , कांग्रेस और भी अन्य पार्टियों ने इस बंद का समर्थन कर दिया। इस बंद में न जाने कितनो को अपनी जान खोनी परी कितने जख्मी हुए , और न जाने कितना जान माल का नुकसान हुआ।
कहने को तो ये सिर्फ एक भारत बंद था लेकिन बंद ऐसा बंद आज तक नहीं हुआ था क्युकी दलितों के इस आंदोलन में इन दलितों को आदिवाशिवो के साथ साथ मुस्लिमो का भी साथ मिला हुआ था। बरे बड़े मुस्लिम संगठनों ने ये पहले ही ऐलान कर दिया था की इस बंद में वो दलितों का खुल के साथ देंगे और इन मुस्लिमो ने साथ दिया भी ...... और तो और हमारे प्रेरणास्त्रोत संविधान के रचयिता Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकर के नारे भी लगाये।
अब सवाल ये उठता है की एक तरफ ये विशेष समुदाय कॉम दुनिया भर के बौद्धों को गाली देती है (जैसे म्यांमार के बौद्ध , श्री लंका के बौद्ध ) और दूसरी तरफ Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकर का जैकारा लगाती है जो की खुद एक बौद्ध थे। एक और बात Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकरके नाम में राम सब्द भी है और आपको तो पता है वो हमारे प्रभु श्री राम को कितना मानते फिर भी जैकारा लगाया इससे इनकी मानसिकता पता चलती है की ये सिर्फ हम हिन्दुओ को तोरणा चाहते है
अब यहाँ दलितों को सोचना होगा की वो किस मोहरे का शिकार हो रहे है ...... कही इन्हे खुद के भाइयो से तो नहीं लड़वाया जा रहा है ताकि देश में सांप्रदायिक स्थिति कायम रहे ताकि देश में आने वाले समय में इस विशेष समुदाय का राज हो।
भारत आईडिया का इस खबर पर विचार : एक बात तो है अगर हिन्दुओ को बाटने से रोकना है तो सरकार को सबसे पहले सिविल कोड लागु करना चाहिए ताकि देश में सब के लिए एक कानून हो। अगर सिविल कोड भारत में लागु होती है तो जो भी समस्याए है वो खत्म हो जाएगी। बात रही दलित भाइयो की तो वो अपने है लेकिन एक अनजान शक्ति जो की हमारे देश को बाटना चाहती है वो इनको भरका रही है।
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भारत में विशेष समुदाय का दर्जा जो धर्म ले बैठी है , उस समुदाय के बारे में एक चीज समझ नहीं आती की इनके पास अक्ल है भी या नहीं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने (SC/ST)ACT में एक संशोधन कर दिया तो मानो देश की राजनीती में भूचाल आगया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को दलितों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया और हद तो तब हो गयी जब मायावती से लेकर ममता बनर्जी , केजरीवाल , कांग्रेस और भी अन्य पार्टियों ने इस बंद का समर्थन कर दिया। इस बंद में न जाने कितनो को अपनी जान खोनी परी कितने जख्मी हुए , और न जाने कितना जान माल का नुकसान हुआ।
कहने को तो ये सिर्फ एक भारत बंद था लेकिन बंद ऐसा बंद आज तक नहीं हुआ था क्युकी दलितों के इस आंदोलन में इन दलितों को आदिवाशिवो के साथ साथ मुस्लिमो का भी साथ मिला हुआ था। बरे बड़े मुस्लिम संगठनों ने ये पहले ही ऐलान कर दिया था की इस बंद में वो दलितों का खुल के साथ देंगे और इन मुस्लिमो ने साथ दिया भी ...... और तो और हमारे प्रेरणास्त्रोत संविधान के रचयिता Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकर के नारे भी लगाये।
अब सवाल ये उठता है की एक तरफ ये विशेष समुदाय कॉम दुनिया भर के बौद्धों को गाली देती है (जैसे म्यांमार के बौद्ध , श्री लंका के बौद्ध ) और दूसरी तरफ Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकर का जैकारा लगाती है जो की खुद एक बौद्ध थे। एक और बात Dr. बाबा साहब राम जी आंबेडकरके नाम में राम सब्द भी है और आपको तो पता है वो हमारे प्रभु श्री राम को कितना मानते फिर भी जैकारा लगाया इससे इनकी मानसिकता पता चलती है की ये सिर्फ हम हिन्दुओ को तोरणा चाहते है
अब यहाँ दलितों को सोचना होगा की वो किस मोहरे का शिकार हो रहे है ...... कही इन्हे खुद के भाइयो से तो नहीं लड़वाया जा रहा है ताकि देश में सांप्रदायिक स्थिति कायम रहे ताकि देश में आने वाले समय में इस विशेष समुदाय का राज हो।
भारत आईडिया का इस खबर पर विचार : एक बात तो है अगर हिन्दुओ को बाटने से रोकना है तो सरकार को सबसे पहले सिविल कोड लागु करना चाहिए ताकि देश में सब के लिए एक कानून हो। अगर सिविल कोड भारत में लागु होती है तो जो भी समस्याए है वो खत्म हो जाएगी। बात रही दलित भाइयो की तो वो अपने है लेकिन एक अनजान शक्ति जो की हमारे देश को बाटना चाहती है वो इनको भरका रही है।
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