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शेयर करे कालेधन में भारत को मिली सफलता, स्विस बैंक राजी हुई जानकारी देने को.



नमस्कार  दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं भारतीय खजाने के काले धन के बारे में जो कि स्विस बैंक में भारत के तथाकथित भ्रष्ट नेताओं तथा उनके गुर्गों द्वारा छिपाई गई  है पर अब कालेधन में भारत को एक कामयाबी मिली है और आज हम उसी पर चर्चा करेंगे.

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क्या है मामला:
जी हां दोस्तों आपने सही सुना काले धन के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में मशहूर स्विट्जरलैंड ने अपनी छवि को सुधारने का बीड़ा उठाया है. आपको जानकर खुशी होगी कि, स्विट्जरलैंड ने दो कंपनियों और 3 लोगों के बारे में भारतीय एजेंसियों को जानकारी देने के लिए हामी भरी है. इन कंपनियों और लोगों के खिलाफ भारत में कई जांच चल रही है.दोनों भारतीय कंपनियों में एक सूचीबद्ध कंपनी है और कई उल्लंघनो के मामले में बाजार नियामक सेबी की निगरानी का सामना कर रही है. जबकि दूसरी कंपनी का तमिलनाडु के कुछ राजनेताओंसे संबंध बताया जाता है. स्विस सरकार के राजपत्तिरत अधिसूचना के मुताबिक स्विस सरकार का संघीय कर विभाग जियडेसिक  लिमिटेड और आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के बारे में किए गए अनुरोध पर भारत को प्रशासनिक सहायता देने के लिए तैयार हो गया है. जियडेसिक लिमिटेड से जुड़े तीन लोग पंकज कुमार ओंकारा श्रीवास्तव, प्रशांत शरद मूलेकर और किरण कुलकर्णी के मामले में विभाग ने इसी तरह के अनुरोध पर सहमति जताई है.




क्या रहेगी प्रक्रिया :
स्विस सरकार ने दोनों कंपनियों और तीनों व्यक्तियों के बारे में भारतीय एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारी और मदद से जुड़े विशेष  विवरणों का खुलासा अभी नहीं किया है क्युकी इस तरह की प्रशासनिक सहायता में वित्तीय और कर संबंधित गड़बड़ियां के बारे में सबूत पेश करने होते हैं और बैंक खातों तथा अन्य वित्तीय आंकड़े से जुड़ी जानकारियां शामिल होती है.मामले से संबंधित कंपनियां और लोग भारत को प्रशासनिक सहायता प्रदान करने के लिए स्विट्जरलैंड के संघीय प्रशासन  के निर्णय के खिलाफ अर्जी दायर कर सकते हैं.नई प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने वाली जिओडेसिक लिमिटेड की स्थापना 1982 में हुई थी इस कंपनी की अब तक न तो वेबसाइट चल रही है और ना अब यह एक सूचीबद्ध इकाई है और ये ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयर बाजार ने इनके शेयरों में कारोबार को प्रतिबंधित कर रखा है.




कंपनियों पर पहले से सरकार ने कस रखा है शिकंजा :
कंपनी और उसके निदेशकों को साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय और मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की जांच का सामना करना पड़ रहा है. वहीं आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना चेन्नई में 2014 में हुई थी, कंपनी के रियल स्टेट और अन्य कारोबार में तेज विधि देखी गई थी.लेकिन दागी नेताओं और कथित मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के चलते कंपनी की मुश्किलें जल्द शुरू हो गई. अब यह देखने वाली बात होगी कि भारतीय सरकार स्विजरलैंड के स्विस बैंक से इन दो कंपनियों तथा 3 भ्रष्ट व्यक्तियों के बारे में कितनी जल्द से जल्द पूरी जानकारी निकालती है और इन्हें इनके अपराध के लिए सजा देती है.वहीं सरकार को यह भी कोशिश करनी चाहिए कि जो भी काला धन स्विस बैंक में है उन सब की जानकारी स्विजरलैंड सरकार भारत सरकार को दे.


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