हम राजनीती एवं इतिहास का एक अभूतपूर्व मिश्रण हैं.हम अपने धर्म की ऐतिहासिक तर्क-वितर्क की परंपरा को परिपुष्ट रखना चाहते हैं.हम विविध क्षेत्रों,व्यवसायों,सोंच और विचारों से हो सकते हैं,किन्तु अपनी संस्कृति की रक्षा,प्रवर्तन एवं कृतार्थ हेतु हमारा लगन और उत्साह हमें एकजुट बनाये रखता है.हम एक ऐसे प्रपंच में कदम रख रहें हैं जहां हमारे धर्म,शास्त्रों नियमों को कुरूपता और विकृति के साथ निवेदित किया जा रहा है.हम अपने धार्मिक ऐतिहासिक यथार्थता को समाज के सामने स्पष्ट करना चाहते है,जहाँ पुराने नियम प्रसंगगिक नहीं रहे.हम आपके विचारों के प्रतिबिंब हैं,हम आपकी अभिव्यक्ति के स्वर हैं और हम आपको निमंत्रित करते हैं,आपका अपना मंच 'BHARATIDEA' पर,सारे संसार तक अपना निनाद पहुंचायें!

आखिर क्या कारण था जिससे ट्रेन नहीं रुका

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है भारत इंडिया में, जैसा कि आप सभी को पता है कि अमृतसर मैं एक बहुत ही दर्दनाक रेल हादसा हुआ है ,जिसमें की करीब सैकड़ों की जाने गई है और कई बुरी तरह से घायल हैं। आखिर क्या कारण रहा जिससे की ट्रेन नहीं रुका। डीआरएम ऑफिस के  अधिकारियों का क्या कहना है या बात कुछ और ही है आइए जानते हैं।

 

 आपको पहले यह बता दें कि उस ट्रैन ड्राइवर का नाम इम्तियाज अली था , और वह ना ही ट्रेन का हॉर्न बजाया था, लेकिन सभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों में यह बताया जा रहा है की हॉर्न ड्राइवर ने बजाया था लेकिन ये सभी के सोचने की बात है कि ट्रेन का हॉर्न , बाइक का हॉर्न नहीं है जो कि सुनाई नही देगा अगर ड्राइवर हॉर्न मारते हुए आएगा तो कितना भी आवाज हो फिर भी हॉर्न सुनाई देगा।

दूसरी बात सभी न्यूज़ चैनलों में यह बताया जा रहा है की ट्रेन की रफ्तार १०० या ९० के आस पास थी , लेकिन भारत में औसतन ट्रेन की रफ्तार ७० से ७५ रहती है कभी कभी १०० तक जाती है।

तो फिर इस ट्रेन की रफतार ९० - १०० कैसे थी।

ऐसा माना जा रहा है कि इम्तेयाज़ अली ने जान मुझ कर ट्रैन नही रोकी क्यों कि उस समय सभी हिन्दू एक जगह एकत्रित होकर रावण दहन का आनंद ले रहे थे,और अगर इसमे किसी की जान जाती भी है तो ट्रेन ड्राइवर का कुछ नही होगा, ये सोच कर शायद इम्तियाज अली ने ऐसा किया और जबकि डीआरएम अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल के पास ट्रेक घुमावदार था।

अभी यह पूरा घटना क्या है अब तो जांच के  बाद ही पता चलेगा।


संपादक: आशुतोष उपाध्याय


About