आपको पहले यह बता दें कि उस ट्रैन ड्राइवर का नाम इम्तियाज अली था , और वह ना ही ट्रेन का हॉर्न बजाया था, लेकिन सभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों में यह बताया जा रहा है की हॉर्न ड्राइवर ने बजाया था लेकिन ये सभी के सोचने की बात है कि ट्रेन का हॉर्न , बाइक का हॉर्न नहीं है जो कि सुनाई नही देगा अगर ड्राइवर हॉर्न मारते हुए आएगा तो कितना भी आवाज हो फिर भी हॉर्न सुनाई देगा। दूसरी बात सभी न्यूज़ चैनलों में यह बताया जा रहा है की ट्रेन की रफ्तार १०० या ९० के आस पास थी , लेकिन भारत में औसतन ट्रेन की रफ्तार ७० से ७५ रहती है कभी कभी १०० तक जाती है। तो फिर इस ट्रेन की रफतार ९० - १०० कैसे थी। ऐसा माना जा रहा है कि इम्तेयाज़ अली ने जान मुझ कर ट्रैन नही रोकी क्यों कि उस समय सभी हिन्दू एक जगह एकत्रित होकर रावण दहन का आनंद ले रहे थे,और अगर इसमे किसी की जान जाती भी है तो ट्रेन ड्राइवर का कुछ नही होगा, ये सोच कर शायद इम्तियाज अली ने ऐसा किया और जबकि डीआरएम अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल के पास ट्रेक घुमावदार था। अभी यह पूरा घटना क्या है अब तो जांच के बाद ही पता चलेगा। संपादक: आशुतोष उपाध्याय |
आखिर क्या कारण था जिससे ट्रेन नहीं रुका
नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है भारत इंडिया में, जैसा कि आप सभी को पता है कि अमृतसर मैं एक बहुत ही दर्दनाक रेल हादसा हुआ है ,जिसमें की करीब सैकड़ों की जाने गई है और कई बुरी तरह से घायल हैं। आखिर क्या कारण रहा जिससे की ट्रेन नहीं रुका। डीआरएम ऑफिस के अधिकारियों का क्या कहना है या बात कुछ और ही है आइए जानते हैं।