सऊदी अरब की अगुवाई वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने शुक्रवार को कच्चे तेल का उत्पादन एक लाख बैरल प्रति दिन तक बढ़ाने का ऐलान किया। इससे कच्चे तेल के दामों में अगले कुछ दिनों में गिरावट आने के आसार हैं, इसमें भारत -चीन जैसे देशों को राहत मिलेगी।
वियना में शुक्रवार को हुई औपचारिक बैठक में सऊदी अरब अपने धुर विरोधी ईरान को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी करने में सफल रहा सऊदी के ऊर्जा मंत्री खालिद फालिह ने कहा कि बड़े उपभोक्ता देशों की चिंता को ध्यान में रखकर और आपूर्ति में कमी ना होने देने के लिए यह निर्णय लिया गया।
१४ रिशव वाले ऊपर के सदस्य इराक का गाना है कि असल में उत्पादन में बढ़ोतरी ७.७ लाख बैरल तक ही रहेगी, क्योंकि कुछ देर स्फूर्ति बढ़ाने में सक्षम नहीं है लिहाजा बैठक में हर देश के लिए उत्पादन वृद्धि का कोटा तय करने के बजाय आपूर्ति के लक्ष्य को पाने पर रजामंदी बनी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ,चीन और भारत में तेल उत्पादन में कटौती से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को देखते हुए ओपेक से आपूर्ति बढ़ाने को कहा था।
इसमें क्या हो सकता है भारत को फ़ायदा: ओपेक देशों के बीच इस सहमति से भारत ,चीन जैसे एशियाई देशों ने राहत की सांस ली है। जिनकी अर्थव्यवस्था तेल के ऊंचे दामों की वजह से प्रभावित हो रही थी।
(अब शायद भारत मे भी तेलों के दाम पर कमी आए)
संपादक: आशुतोष उपाध्याय
वियना में शुक्रवार को हुई औपचारिक बैठक में सऊदी अरब अपने धुर विरोधी ईरान को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी करने में सफल रहा सऊदी के ऊर्जा मंत्री खालिद फालिह ने कहा कि बड़े उपभोक्ता देशों की चिंता को ध्यान में रखकर और आपूर्ति में कमी ना होने देने के लिए यह निर्णय लिया गया।
१४ रिशव वाले ऊपर के सदस्य इराक का गाना है कि असल में उत्पादन में बढ़ोतरी ७.७ लाख बैरल तक ही रहेगी, क्योंकि कुछ देर स्फूर्ति बढ़ाने में सक्षम नहीं है लिहाजा बैठक में हर देश के लिए उत्पादन वृद्धि का कोटा तय करने के बजाय आपूर्ति के लक्ष्य को पाने पर रजामंदी बनी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ,चीन और भारत में तेल उत्पादन में कटौती से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को देखते हुए ओपेक से आपूर्ति बढ़ाने को कहा था।
इसमें क्या हो सकता है भारत को फ़ायदा: ओपेक देशों के बीच इस सहमति से भारत ,चीन जैसे एशियाई देशों ने राहत की सांस ली है। जिनकी अर्थव्यवस्था तेल के ऊंचे दामों की वजह से प्रभावित हो रही थी।
(अब शायद भारत मे भी तेलों के दाम पर कमी आए)
संपादक: आशुतोष उपाध्याय