आज हम बात करने जा रहे नागपुर में चल रहे तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण के समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रणब मुखर्जी ने आखिर क्या कहा।
बीते २५ दिनों से चल रहे नागपुर में तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण का समापन समारोह आज रेशमीबाग मैदान में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के तौर पर पधारें प्रणब मुखर्जी जी ने भी देश के प्रति बहुत कुछ कहाँ।
प्रणब मुखर्जी ने संघ की स्थापना करने वाले परम पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी की तारीफ की और उन्होंने कहा कि हेडगेवार जी भारत मां के सच्चे सपूत थे।
प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार जी के स्मारक पर फूल अर्पित करते हुए यह शब्द बोले।
प्रणब मुखर्जी जी ने हेडगेवार भवन में कई जगहों पर भ्रमण किया
,संघ की पहली बैठक जिस कमरे में हुई थी-प्रणव जी ने उस कमरे में कम से कम २०मिनट बिताए।
इसके बाद संघ शिक्षा वर्ग की समापन समारोह में परम पूजनीय सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत जी ने क्या-क्या कहा आई है उन बातों पर थोड़ा नजर डालते हैं--
* कांग्रेस द्वारा दिए जा रहे हैं भिन्न भिन्न बातों पर भागवत जी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी जी पर दिया गया विवाह गलत है,संघ-संघ है प्रणब मुखर्जी-प्रणब मुखर्जी ही रहेंगे।
*इसके बाद उन्होंने यह कहा कि इधर आए हुए संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षार्थी अपना पैसा खर्च करके शिक्षा ग्रहण करते हैं।
* संघ सिर्फ हिंदू को नहीं पूरे समाज को संगठित करता है।
* कांग्रेस के कुछ तुच्छ नेताओं का यह कहना था कि संघ अंग्रेजों का साथ दिया है और संघ के किसी व्यक्ति ने आजादी के आंदोलन में सहयोग नहीं दिया है। यह देखते हुए डॉ मोहन भागवत जी ने सबको बताया कि डॉ हेडगेवार जी कांग्रेस के आंदोलन में रहे,उन्होंने में भी आजादी आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।करीब ३से४बार करावास गए।
* भागवत जी ने यह भी कहा कि त्याग के बदले स्वयंसेवकों को कुछ नहीं मिलता।
* सब के जीवन में भारतीय संस्कृति का अहम योगदान रहा है।
और इधर मुख्य अतिथि के तौर पर आए प्रणव मुखर्जी जी ने भी कहा कि मैं राष्ट्र,राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश के प्रति समर्पण ही देश प्रेम होता है।
* प्रणब मुखर्जी ने कहा कि १८०० सालों तक भारत पूरे विश्व में शिक्षा का केंद्र रहा है। इसी काल में चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा।
* भारत की राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम के साथ प्रेरित है ये कहना है प्रणव दा का, अगर हम भेद भाव, नफरत करेंगे तो हमारी पहचान को खतरा हो सकता है।
* कई शासकों के बाद भी हमारी संस्कृति सुरक्षित रही, अलग रंग ,भाषा,धर्म ही भारत की पहचान है।
* नेहरू के हवाले से प्रणव जी ने यह कहा कि राष्ट्रवाद किसी धर्म, जाति- भाषा से बंधा नहीं है, हिंदू, मुसलमान,सिख,इसाई मिलकर ही राष्ट्र बनाते हैं। संविधान से ही राष्ट्रवाद की धारा बहती है। इतना कहना था प्रणब मुखर्जी जी का।
संपादक:आशुतोष उपाध्याय
बीते २५ दिनों से चल रहे नागपुर में तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण का समापन समारोह आज रेशमीबाग मैदान में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के तौर पर पधारें प्रणब मुखर्जी जी ने भी देश के प्रति बहुत कुछ कहाँ।
प्रणब मुखर्जी ने संघ की स्थापना करने वाले परम पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी की तारीफ की और उन्होंने कहा कि हेडगेवार जी भारत मां के सच्चे सपूत थे।
प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार जी के स्मारक पर फूल अर्पित करते हुए यह शब्द बोले।
प्रणब मुखर्जी जी ने हेडगेवार भवन में कई जगहों पर भ्रमण किया
,संघ की पहली बैठक जिस कमरे में हुई थी-प्रणव जी ने उस कमरे में कम से कम २०मिनट बिताए।
इसके बाद संघ शिक्षा वर्ग की समापन समारोह में परम पूजनीय सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत जी ने क्या-क्या कहा आई है उन बातों पर थोड़ा नजर डालते हैं--
* कांग्रेस द्वारा दिए जा रहे हैं भिन्न भिन्न बातों पर भागवत जी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी जी पर दिया गया विवाह गलत है,संघ-संघ है प्रणब मुखर्जी-प्रणब मुखर्जी ही रहेंगे।
*इसके बाद उन्होंने यह कहा कि इधर आए हुए संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षार्थी अपना पैसा खर्च करके शिक्षा ग्रहण करते हैं।
* संघ सिर्फ हिंदू को नहीं पूरे समाज को संगठित करता है।
* कांग्रेस के कुछ तुच्छ नेताओं का यह कहना था कि संघ अंग्रेजों का साथ दिया है और संघ के किसी व्यक्ति ने आजादी के आंदोलन में सहयोग नहीं दिया है। यह देखते हुए डॉ मोहन भागवत जी ने सबको बताया कि डॉ हेडगेवार जी कांग्रेस के आंदोलन में रहे,उन्होंने में भी आजादी आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।करीब ३से४बार करावास गए।
* भागवत जी ने यह भी कहा कि त्याग के बदले स्वयंसेवकों को कुछ नहीं मिलता।
* सब के जीवन में भारतीय संस्कृति का अहम योगदान रहा है।
और इधर मुख्य अतिथि के तौर पर आए प्रणव मुखर्जी जी ने भी कहा कि मैं राष्ट्र,राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश के प्रति समर्पण ही देश प्रेम होता है।
* प्रणब मुखर्जी ने कहा कि १८०० सालों तक भारत पूरे विश्व में शिक्षा का केंद्र रहा है। इसी काल में चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा।
* भारत की राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम के साथ प्रेरित है ये कहना है प्रणव दा का, अगर हम भेद भाव, नफरत करेंगे तो हमारी पहचान को खतरा हो सकता है।
* कई शासकों के बाद भी हमारी संस्कृति सुरक्षित रही, अलग रंग ,भाषा,धर्म ही भारत की पहचान है।
* नेहरू के हवाले से प्रणव जी ने यह कहा कि राष्ट्रवाद किसी धर्म, जाति- भाषा से बंधा नहीं है, हिंदू, मुसलमान,सिख,इसाई मिलकर ही राष्ट्र बनाते हैं। संविधान से ही राष्ट्रवाद की धारा बहती है। इतना कहना था प्रणब मुखर्जी जी का।
संपादक:आशुतोष उपाध्याय