मदरसों के लिए योगी आदित्यनाथ ने लिया बड़ा फैसला, अफसरों को दे दिया ये आदेश।
नमस्कार दोस्तों आप सबका स्वागत है भारत आइडिया के इस नए संस्करण के समाचार लेख में। भारत आइडिया के पाठकों आज इस लेख में हम योगी आदित्यनाथ के ऊपर चर्चा करने वाले हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश मदरसों के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए कुछ बदलाव करने के आदेश दिए हैं तो। आइए जानते हैं क्या है पूरी खबर।
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योगी आदित्यनाथ ने मदरसों की समीक्षा :
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सोमवार को समीक्षा बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। इस दौरान उन्होंने सभी वर्गों से जुड़े कल्याण विभागों की योजनाओं को जांचा और परखा। अमर उजाला न्यूज पेपर की खबर के मुताबिक इस दौरान उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए संचालित मदरसों की शिक्षा और नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा भी की और बड़ा फैसला ले लिया। उन्होंने अफसरों को ये बड़ा आदेश दिया है।
ये है मरदसों के लिए योगी का फैसला :
उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। उन्होंने सोमवार को लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में यूपी के मदरसों को लेकर भी बड़ा फैसला ले लिया। योगी ने मदरसों में नियुक्ति के लिए एक बदलाव करने का आदेश दे दिया है जिसपर जल्द ही अमल होगा। उनका आदेश है कि मदरसों में गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए उर्दू जानना जरूरी नहीं होगा। उन्होंने उर्दू की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया है।
मदरसों में शिक्षा में होगा ये बदलाव :
योगी आदित्यनाथ ने एक और बड़ा आदेश दिया है। उन्होंने मदरसा की शिक्षा पद्धति में बदलाव लाने की पहल की है। योगी ने अफसरों को आदेश दिया है कि मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करवाया जाए और इसी हिसाब से शिक्षा दी जाए। इस बैठक में उन्होंने एससी एसटी छात्रों को जल्द छात्रवृत्ति देने के भी आदेश दे दिए।
वीडियो में देखे इस नेता ने दी मोदी-योगी की सर काटने की धमकी।
ताजमहल में मंगलवार को जबरन अदा की गई नमाज, अब बजरंग दल ने दी धमकी.
सरियत के अनुसार वोटिंग हराम है / According to the muslim law voting is haram
कांग्रेस के नेताओ ने जहाँ एक तरफ इसका समर्थन किया है तो दूसरी तरफ जब बीजेपी ने इसका विरोध किया तो मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ये मांग कर दी की अगर हमें अलग सरिया अदालत बनाने की इजाजत नहीं दे सकते तो हमें एक अलग देश देदे जहाँ हम अपना सरिया अदालत का कानून चला सके।
इसी बिच कपिल मिश्रा भी इस बहस में कूद चुके है और कहा है की जिनको अलग सरिया अदालत चाहिये उनसे उनका वोट का अधिकार छीन लेना चाहिये।
आपको हम बता दे की सरिया कानून के तहत वोट देना हराम है और इसीलिए सऊदी अरब में वोटिंग की इजाजत नहीं है, बस इसी बात पर कपिल मिश्रा ने तर्क देते हुए कहा की अगर किसी को सरियत अदालत का कानून चाहिए तो उससे उसका वोट का अधिकार भी छीन लेना चाहिए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अलग देश की मांग की / Muslim Personal Law Board demanded separate country
जो हम 70 साल से भारत में भाईचारे का सेकुलरिस्म चलाते आ रहे है उसका अंजाम हमें अब मिलना शुरू होगया है, आज से 70 शाल पहले देश का बटवारा मजहब के नाम पर किया गया था लेकिन उसके बाद भी हम नहीं सुधरे और सेकुलर राष्ट्र बनाया और आज फिर से ये खाश समुदाय के लोग मजहब के नाम पर अलग देश की मांग कर रहे है।
अभी तो ये शुरुआत है, ये मांग तो अभी इन कट्टरपंथियों ने किया है लेकिन कही ये बात इनकी पूरी कॉम की तरफ से न उठनी सुरु हो जाये। आपको जानकर हैरानी होगी की पाकिस्तान की भी मांग इन लोगो ने 1930 के दशक में ही शुरू कर दी थी और 1947 में इन्होने अपनी मांग को पूरा करवाया।
ये मांग भले ही अभी हो रही हो लेकिन इतिहाश के पन्नो में हम झाँक ले की पहले क्या हुआ था और फीर से कही वही इतिहाश नहीं दुहरा दी जाये और फिर से हमारे देश का धर्म के आधार पर बटवारा नहीं होजाये।
रास्टीय मुस्लिम मंच की मुस्लिम महिला का संघ के ऊपर बयान / National Muslims Forum's openion on RSS
आतंकियों का समर्थन करते कश्मीरी /Kashmiris supporting terrorists
मनोहर लाल खट्टर की आयी सफाई, सार्वजनिक स्थानों पर नमाज न पढ़े जाने के ऊपर
मनोहर लाल खट्टर ने अपने बयान में कहा है की, 'मैंने कभी किसी को नमाज पढ़ने से रोकने की बात नहीं कही, मैंने बस इतना कहा है की अगर नमाज पढ़ने के लिए जगह कम पर रही है तो सार्वजनिक स्थनों का उपयोग ना करे बल्कि निजी स्थान का उपयोग करे। '
क्या है मामला :
दरअसल कुछ दिन पहले गुरगाओ में शुक्रवार को कुछ हिन्दू संगठनो द्वारा नमाज में बाधा पहुँचाने की खबर आयी थी, जिसके बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गयी थी। इसी मामले पर मनोहर लाल खट्टर ने अपने बयान में कहा था की नमाज सिर्फ ईदगाह और मस्जिद में पढ़ी जनि चाहिए।
आज रोक नहीं लगाई तो लोग हक़ मांगेंगे: खट्टर
मुखयमंत्री ने रविवार को चंडीगढ़ में कहा की, "नमाज सिर्फ ईदगाह और मस्जिदों में पढ़ी जनि चाहिए।आज कल खुले में नमाज पढ़ने का एक चलन चल गया है, इसे आज नहीं रोका तो कल यही लोग उस जगह की मालिकाना हक़ मांगेंगे कहेंगे की, यहाँ हम सालो से नमाज पढ़ रहे है ये जगह हमारी है। मनोहर लाल खट्टर के इस बयान के बाद इजराइल और यूके के 10 दिन के दौरे पर रवाना हो गये।
नमाज क लेकर खट्टर की सफाई :
बयान के विवाद के बाद मनोहर लाल खट्टर ने कहा, राज्य में कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु ये जरुरी है की नमाज सिर्फ ईदगाहों या मस्जिदों में पढ़ी जाये और अगर कही जगह की कमी होती है तो निजी स्थान का उपयोग किया जा सकता है।
मनोहर लाल खट्टर खट्टर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा की अगर सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़े जाने से किसी को दिक्कत होती है तो वो तुरंत पुलिस या प्रशासन को तुरंत सूचित करे।
भारत आईडिया का विचार :
भारत आईडिया के अनुसार मनोहर लाल खट्टर का ये निर्णय एक हद तक सही है क्युकी हर चीज के लिए एक जगह होती है और उसका उपयोग वही होना चाहिए। कोई भी धर्म हो चाहे हिन्दू समाज या मुस्लिम समाज या ईसाई समाज सभी धर्मो का एक ही आस्था होनी चाहिए की उनके कारन की दूसरे व्यक्ति को कष्ट न हो।
सम्पादक: विशाल कुमार सिंह