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रामनाथ कोविंद के क्या थे वो तीन शब्द जिसके कारण तालियों कि गरगराहट रुक ही नहीं रही थी ?




नमस्कार दोस्तों आप सबका स्वागत है भारत आइडिया के इस  नए संस्करण के समाचार लेख में। भारत आइडिया के पाठकों आज इस लेख में हम बात करेंगे उस लम्हे कि जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बात पर तालियां ही नहीं रुक रही थी ।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा के एक संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिनाह पर नये भारत की परिकल्पना को पेश किया. इस दौरान उन्होंने पिछली सरकार की प्रमुख उपलब्धियों को गिनाते हुए मौजूदार सरकार की भविष्य की नीतियों के बारे में बताया.इस बाबत उन्होंने संसद में एक घंटे का अभिभाषण दिया. इस एक घंटे के अभिभाषण में कई मर्तबा सत्ता पक्ष के सांसदों ने मेजों को थप-थपाकर अपनी सरकार के किए गए कार्यों सरहाना की. लेकिन दो ऐसे मौके आए जब मेजों की थाप रुकने का नाम नहीं रे रही थी. उस दरम्यान आलम ये रहा कि राष्ट्रपति ने बोलना चाहा, लेकिन मेजों की थापों की गूंज इतनी थी कि उन्हें चुप होना पड़ा.

गड़गड़ाहट के बीच राष्ट्रपति ने दो बार बोलने की कोशिश, लेकिन उन्हें पहले सांसदों को उनका उत्साह दिखाने का अवसर देना पड़ा. बाद में उन्होंने अपना आगे का भाषण शुरू किया.




इन तीन शब्दों में पहला था, मसूद अजहर. राष्ट्रपति ने अभिभाषण के दौरान मसूद अजहर पर हुई हालिया कार्रवाई का जिक्र किया. उन्होंने कहा, आज आतंकवाद के मुद्दे पर पूरा विश्व, भारत के साथ खड़ा है. देश में बड़े आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करना इसका बहुत बड़ा प्रमाण है. इसके बाद मेजों की थाप से संसद गूंज उठा.

इस क्रम में दूसरे और तीसरे शब्द थे, सर्ज‌िकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक. राष्ट्रपति ने कहा, "सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर, पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक करके भारत ने अपने इरादों और क्षमताओं को प्रदर्शित किया है. भविष्य में भी अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे." इसके बाद लगातार करीब एक मिनट तक मेजों की थाप बंद नहीं हुई.



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