शहीद मेजर प्रसाद महादिक की पत्नी गौरी महादिक (32) जल्द ही भारतीय सेना में शामिल होंगी। सेना में शामिल होने को गौरी ने अपने शहीद पति महादिक को श्रद्धांजलि बताया है। बता दें कि, गौरी के पति मेजर महादिक साल 2017 के दिसंबर में इंडो-चाइन बॉर्डर स्थित तवांग में शहीद हो गए थे। ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में ट्रेनिंग होने के बाद गौरी बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय सेना में शामिल हो जाएंगी। इस बारे में गौरी ने बताया कि, मुझे वॉर विडोज के लिए गैर-तकनीकी श्रेणी में लेफ्टिनेंट के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
बताते चलें कि, गौरी उन 16 अभ्यर्थियों में से एक हैं जो सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) की परीक्षाओं में शामिल हुईं। गौरी ने परीक्षा टॉप कर चेन्नई स्थित OTA में ट्रेनिंग के लिए क्वालिफाई किया है। अप्रैल 2019 से गौरी की 49 हफ्तों की ट्रेनिंग शुरू होगी और वह मार्च 2020 में सेना में शामिल हो जाएंगी। गौरी ने बताया कि, 'एसएसबी परीक्षा रक्षा कर्मियों की विधवाओं के लिए आयोजित की गई थी। बैंगलोर, भोपाल और इलाहाबाद के कुल 16 उम्मीदवारों ने यह परीक्षा पास की है। हमें संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा से छूट दी गई। हम सीधे भोपाल में मौखिक परीक्षा के लिए उपस्थित हुए।'
गौरी ने कंपनी सेक्रेटरी की परीक्षा भी पास की है। गौरी ने कहा, 'मार्च 2012 में चेन्नई में ओटीए में प्रशिक्षण के बाद प्रसाद भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। वह बिहार रेजिमेंट की 7 वीं बटालियन में तैनात थे।' गौरी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर इस संबंध में एक पोस्ट शेयर की है। इसमें गौरी ने लिखा है कि, 'हम 22 फरवरी 2014 को दोस्त बने थे और पांच साल बाद फिर से मुझे तुम्हारी मौजूदगी का एहसास हुआ। इत्तेफाक एक बार होता है लेकिन हमारे साथ यह दो बार हुआ। मुझे वही चेस्ट नंबर - 28 मिला, जो कभी तुम्हें भी मिला था। तुम्हारी बर्थ डेट मेरे लिए लकी है। शहीद मेजर प्रसाद महादिक की पत्नी कहलाना मेरे लिए गर्व की बात है क्योंकि, मार्च 2020 में मैं लेफ्टिनेंट गौरी प्रसाद महादिक कही जाउंगी।'
गौरी ने बताया कि, यहां तक का उनका सफर एक 'सुखद संयोग' भी रहा है। क्योंकि, भोपाल परीक्षा केंद्र में गौरी को वही चेस्ट नंबर (28) मिला जो उनके शहीद पति को ओटीए के चयन से पहले आवंटित किया गया था। गौरी ने साल 2015 में मेजर प्रसाद से शादी की थी। गौरी महाराष्ट्र स्थित विरार में अपने ससुराल में रहती है। पति के शहीद होने के बाद, उन्होंने सेना में भर्ती होने के लिए परीक्षाओं की तैयारी के लिए वर्ली की एक लॉ फर्म में नौकरी छोड़ दी।
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