नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका भारत आईडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बाड़े में, जिनके बारे में हम ये तो जानते हैं कि वह भारतीय संविधान के रचयिता थे. लेकिन क्या हमको यह पता है कि उन्होंने कितनी बार चुनाव लड़ा था और उसमें उनको जीत मिली थी या हार तो आइये जानते हैं इतिहास के पन्नों की ये खबर.
क्या है खबर :
भीमराव अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे. इसी समिति के सदस्यों ने भारत के संविधान का संपादन किया था. अंबेडकर को एक ब्राह्मण अध्यापक ने शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया था. इन महान ब्राह्मण शिक्षक के सहयोग से अंबेडकर को आरंभिक शिक्षा मिली.
भीमराव अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे. इसी समिति के सदस्यों ने भारत के संविधान का संपादन किया था. अंबेडकर को एक ब्राह्मण अध्यापक ने शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया था. इन महान ब्राह्मण शिक्षक के सहयोग से अंबेडकर को आरंभिक शिक्षा मिली.
1952 में लड़ा था पहला चुनाव :
इनके आग्रह पर वड़ोदरा के महाराजा ने इन्हें इंग्लैंड में वकालत की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृति प्रदान की थी. अंबेडकर जनता के बीच इतने लोकप्रिय नहीं थे. उन्होनें 1952 में लोकसभा चुनाव लड़ा एवँ मुम्बई उत्तरी सीट से नामांकन भरा. वे इस चुनाव में बुरी तरह हार गए थे.उन्होनें यह चुनाव कांग्रेस के खिलाफ लड़ा था.
इनके आग्रह पर वड़ोदरा के महाराजा ने इन्हें इंग्लैंड में वकालत की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृति प्रदान की थी. अंबेडकर जनता के बीच इतने लोकप्रिय नहीं थे. उन्होनें 1952 में लोकसभा चुनाव लड़ा एवँ मुम्बई उत्तरी सीट से नामांकन भरा. वे इस चुनाव में बुरी तरह हार गए थे.उन्होनें यह चुनाव कांग्रेस के खिलाफ लड़ा था.
1956 के बाद नहीं लिया चुनाव में हिस्सा :
इसके बाद उन्होनें 1954 में भी महाराष्ट्र की गोंदिया सीट से उपचुनाव लड़ा और इस बार तो जनता ने उसे तीसरे स्थान पर पहुँचा दिया था. अंबेडकर को जनता के बीच अपनी छवि का एहसास हो चुका था और 1956 तक किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लिया.
इसके बाद उन्होनें 1954 में भी महाराष्ट्र की गोंदिया सीट से उपचुनाव लड़ा और इस बार तो जनता ने उसे तीसरे स्थान पर पहुँचा दिया था. अंबेडकर को जनता के बीच अपनी छवि का एहसास हो चुका था और 1956 तक किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लिया.