नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं रफाएल डील के बारे में जिस पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान दिया है, तो आइए जानते है क्या कहा अखिलेश यादव ने.
क्या है मामला :
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश की राजनीति में नया उबाल आ गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने जहां फैसले के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर प्रहार करना शुरू कर दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसे मंजूर है.समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस के इतर जाते हुए कहा कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी है. इस पर टिप्पणी करना अब ठीक नहीं है, लेकिन अब भी अगर किसी को लगता है तो उसे अपनी बात सुप्रीम कोर्ट में ही रखनी चाहिए.
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश की राजनीति में नया उबाल आ गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने जहां फैसले के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर प्रहार करना शुरू कर दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसे मंजूर है.समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस के इतर जाते हुए कहा कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी है. इस पर टिप्पणी करना अब ठीक नहीं है, लेकिन अब भी अगर किसी को लगता है तो उसे अपनी बात सुप्रीम कोर्ट में ही रखनी चाहिए.
क्या कहा अखिलेश ने :
राफेल डील का मामला कांग्रेस की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को दिए जाने की मांग पर अखिलेश ने कहा कि हमारी अब जेपीसी की मांग नहीं है. यह मांग तब थी जब मामला सुप्रीम कोर्ट में नहीं आया था पर अब हम रफाएल को सही मान रहे है और अब हम ये कह सकते है कि इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है .
राफेल डील का मामला कांग्रेस की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को दिए जाने की मांग पर अखिलेश ने कहा कि हमारी अब जेपीसी की मांग नहीं है. यह मांग तब थी जब मामला सुप्रीम कोर्ट में नहीं आया था पर अब हम रफाएल को सही मान रहे है और अब हम ये कह सकते है कि इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है .
क्या है JPC :
JPC का फूल फॉर्म ''ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी' होता है. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है. साथ ही जिस किसी भी व्यक्ति को जेपीसी बुलाती है अगर वह आता नहीं तो इसे सदन की अवमानना माना जाता है. जोपीसी को यह अधिकार होता है कि वह जिस व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जांच चल रही है उससे लिखित या मौखिक जवाब मांग सकती है.
JPC का फूल फॉर्म ''ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी' होता है. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है. साथ ही जिस किसी भी व्यक्ति को जेपीसी बुलाती है अगर वह आता नहीं तो इसे सदन की अवमानना माना जाता है. जोपीसी को यह अधिकार होता है कि वह जिस व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जांच चल रही है उससे लिखित या मौखिक जवाब मांग सकती है.
कैसे होता है गठन
किसी भी मुद्दे को लेकर अगर सदन के अधीकतर सदस्य चाहते हैं कि जांच जोपीसी के जरिए हो तो उसके लिए एक समिति का गठन किया जाता है. इसको मिनी संसद भी कहा जाता है.
किसी भी मुद्दे को लेकर अगर सदन के अधीकतर सदस्य चाहते हैं कि जांच जोपीसी के जरिए हो तो उसके लिए एक समिति का गठन किया जाता है. इसको मिनी संसद भी कहा जाता है.
पहले भी कई बार हो चुका हैं JPC का गठन
JPC का गठन पहले भी हुआ है. सबसे पहले जेपीसी का गठन बोफोर्स घोटाले की जांच के लिए 1987 में हुआ. इसके बाद हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला मामले में जेपीसी जांच के लिए समिति का गठन 1992 में हुआ. केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला में भी 2001 में जोपीसी का गठन हुआ था. इसके बाद 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक पेस्टीसाइड मामले में इसका गठन हुआ. टू जी स्पैकट्रम घोटाले की जांच के लिए भी जेपीसी का गठन हुआ था.
JPC का गठन पहले भी हुआ है. सबसे पहले जेपीसी का गठन बोफोर्स घोटाले की जांच के लिए 1987 में हुआ. इसके बाद हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला मामले में जेपीसी जांच के लिए समिति का गठन 1992 में हुआ. केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला में भी 2001 में जोपीसी का गठन हुआ था. इसके बाद 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक पेस्टीसाइड मामले में इसका गठन हुआ. टू जी स्पैकट्रम घोटाले की जांच के लिए भी जेपीसी का गठन हुआ था.