नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका भारत आइडिया में, तो दोस्तो आज हम बात करने वाले हैं राहुल गांधी के बाड़े में जिनको शायद अब थोड़ी बुद्धि हो जाय रफाएल डील के बारे में क्योंकि दसाल्ट के CEO ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए रफाएल डील की a b c d समझाई है और कहां है कि मैं झूठ नहीं बोलता.
क्या है मामला:
जी हां दोस्तों आपने सही सुना दरअसल रफाएल विमान डील विवाद पर देश में सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक हंगामा मच चुका है.आपको ज्ञात हो तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष मोदी सरकार पर इस डील को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है. लेकिन अब फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट कंपनी के CEO एरिक ट्रापियार ने समाचार एजेंसी ANI को दिए का इंटरव्यू में डील पर उठ रहे हर एक सवाल का जवाब दिया और इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए सारे आरोप को झूठा करार दिया है. CEO एरिक ट्रापियार ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह बिल्कुल निराधार हैं, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसाल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइनट वेंचर के बाड़े में सरासर झूठ बोला है.उन्होंने कहा कि डील के बाड़े में जो भी जानकारी दी गई है वह बिल्कुल सही है क्योंकि हम झूठ नहीं बोलते है.
जी हां दोस्तों आपने सही सुना दरअसल रफाएल विमान डील विवाद पर देश में सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक हंगामा मच चुका है.आपको ज्ञात हो तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष मोदी सरकार पर इस डील को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है. लेकिन अब फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट कंपनी के CEO एरिक ट्रापियार ने समाचार एजेंसी ANI को दिए का इंटरव्यू में डील पर उठ रहे हर एक सवाल का जवाब दिया और इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए सारे आरोप को झूठा करार दिया है. CEO एरिक ट्रापियार ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह बिल्कुल निराधार हैं, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसाल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइनट वेंचर के बाड़े में सरासर झूठ बोला है.उन्होंने कहा कि डील के बाड़े में जो भी जानकारी दी गई है वह बिल्कुल सही है क्योंकि हम झूठ नहीं बोलते है.
सारे सवालों का जवाब दिया दसाल्ट के CEO ने:
एरिक ट्रापियार ने बताया कि उनकी कंपनी और कॉन्ग्रेस का रिश्ता काफी पुराना है उनकी पहली डील 1953 में जवाहरलाल नेहरु के रहते हुए हुई थी, भारत में हमारी डील किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के साथ होती है और हम लगातार भारत सरकार को फाइटर जेट मुहैया कराते आ रहे हैं. रफाएल डिल में रिलायंस के साथ करार पर उन्होंने कहा कि हमने जो पैसा इनवेस्ट किया है वह रिलायंस में नहीं बल्कि जॉइंट वेंचर में है.उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है पर हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रियल पार्ट को लीड कर रहे है, इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा .गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दासॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपए मदद के लिए दिए थे. हिस्सेदारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने साफ किया है कि ज्वाइनट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दासॉल्ट का है और 51फीसदी हिस्सा रिलायंस का है, जिस में कुल 800 करोड रुपए का इनवेस्ट होगा और दोनो कंपनियां इसमें बराबर बराबर इनवेस्ट कर हिस्सेदार होगी.CEO एरिक ट्रापियार ने यह भी साफ किया कि डील के ऑफसेट को जारी करने के लिए हमारे पास 7 साल थे जिसमें शुरुआती 3 साल में कुछ तय नहीं हो पाया उसपर से 40 फीसदी हिस्सा 30 कंपनियों के पास था और 10 फीसदी हिस्सा रिलायंस को दिया गया था.
एरिक ट्रापियार ने बताया कि उनकी कंपनी और कॉन्ग्रेस का रिश्ता काफी पुराना है उनकी पहली डील 1953 में जवाहरलाल नेहरु के रहते हुए हुई थी, भारत में हमारी डील किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के साथ होती है और हम लगातार भारत सरकार को फाइटर जेट मुहैया कराते आ रहे हैं. रफाएल डिल में रिलायंस के साथ करार पर उन्होंने कहा कि हमने जो पैसा इनवेस्ट किया है वह रिलायंस में नहीं बल्कि जॉइंट वेंचर में है.उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है पर हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रियल पार्ट को लीड कर रहे है, इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा .गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दासॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपए मदद के लिए दिए थे. हिस्सेदारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने साफ किया है कि ज्वाइनट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दासॉल्ट का है और 51फीसदी हिस्सा रिलायंस का है, जिस में कुल 800 करोड रुपए का इनवेस्ट होगा और दोनो कंपनियां इसमें बराबर बराबर इनवेस्ट कर हिस्सेदार होगी.CEO एरिक ट्रापियार ने यह भी साफ किया कि डील के ऑफसेट को जारी करने के लिए हमारे पास 7 साल थे जिसमें शुरुआती 3 साल में कुछ तय नहीं हो पाया उसपर से 40 फीसदी हिस्सा 30 कंपनियों के पास था और 10 फीसदी हिस्सा रिलायंस को दिया गया था.
पहले के विमान से सस्ते हैं अब के विमान:
रफाएल के दाम के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए CEO एरिक ट्रापियार ने कहा कि जो भी एयरक्राफ्ट मिल रहे हैं वह करीब पहले के दाम से 9 फीसदी सस्ते हैं .उन्होंने कहा कि जो 36 विमान का रेट है वह मौजूदा 18 के बिल्कुल सामान है, यह दाम दुगना हो सकता था लेकिन यह समझौता सरकार से सरकार के बीच का है इसलिए दाम नहीं बढ़ाया गया बल्कि दाम 9 फीसदी सस्ता भी हुआ है.CEO ने बताया कि उड़ने के लिए तैयार स्थिति में 36 कॉन्ट्रैक्ट वाले रफाएल के दाम 126 कॉन्ट्रैक्ट वाले दाम से काफी सस्ते हैं.HAL के साथ करार टूटने पर CEO ने कहा कि जब 126 एयरक्राफ्ट विमान के करार की बात चल रही थी तब HAL से ही करार की बात थी और डील सही तरीके से आगे बढ़ती तो करार HAL को ही मिलता लेकिन 126 विमान का करार सही नहीं हुआ इसलिए 36 विमान का कॉन्ट्रैक्ट पर बात हुई जिस के बाद यह करार रिलायंस के साथ आगे बढ़ा.उन्होंने बताया कि आज थोड़ी दिनों में HAL ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं है और रिलायंस के साथ करार का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया.एरिक बोले कि इस दौरान वह अन्य कंपनियों से करार के बारे में भी सोच रहे थे जिसमें टाटा ग्रुप जैसे नाम शामिल थे लेकिन उस समय हम निर्णय नहीं ले पाए जिसके बाद हमने रिलायंस के साथ करार तय किया सरकार के अनुबंध के अनुसार. एरिक तेज पूछा गया कि क्या इन विमानों के साथ हथियार भी आएंगे तो उन्होंने साफ किया कि यह विमान सभी उपकरणों से लैस होंगे ..
रफाएल के दाम के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुए CEO एरिक ट्रापियार ने कहा कि जो भी एयरक्राफ्ट मिल रहे हैं वह करीब पहले के दाम से 9 फीसदी सस्ते हैं .उन्होंने कहा कि जो 36 विमान का रेट है वह मौजूदा 18 के बिल्कुल सामान है, यह दाम दुगना हो सकता था लेकिन यह समझौता सरकार से सरकार के बीच का है इसलिए दाम नहीं बढ़ाया गया बल्कि दाम 9 फीसदी सस्ता भी हुआ है.CEO ने बताया कि उड़ने के लिए तैयार स्थिति में 36 कॉन्ट्रैक्ट वाले रफाएल के दाम 126 कॉन्ट्रैक्ट वाले दाम से काफी सस्ते हैं.HAL के साथ करार टूटने पर CEO ने कहा कि जब 126 एयरक्राफ्ट विमान के करार की बात चल रही थी तब HAL से ही करार की बात थी और डील सही तरीके से आगे बढ़ती तो करार HAL को ही मिलता लेकिन 126 विमान का करार सही नहीं हुआ इसलिए 36 विमान का कॉन्ट्रैक्ट पर बात हुई जिस के बाद यह करार रिलायंस के साथ आगे बढ़ा.उन्होंने बताया कि आज थोड़ी दिनों में HAL ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं है और रिलायंस के साथ करार का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया.एरिक बोले कि इस दौरान वह अन्य कंपनियों से करार के बारे में भी सोच रहे थे जिसमें टाटा ग्रुप जैसे नाम शामिल थे लेकिन उस समय हम निर्णय नहीं ले पाए जिसके बाद हमने रिलायंस के साथ करार तय किया सरकार के अनुबंध के अनुसार. एरिक तेज पूछा गया कि क्या इन विमानों के साथ हथियार भी आएंगे तो उन्होंने साफ किया कि यह विमान सभी उपकरणों से लैस होंगे ..