नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं चाइना के बारे में , जिसने विश्व का सबसे बड़ा समुद्री पुल का निर्माण किया है.
चीन ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा पुल:
जी हां दोस्तों आपने सही सुना चाइना ने विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल तैयार किया है जिसकी लंबाई तकरीबन 54 किलोमीटर है. इस ब्रिज का निर्माण हांगकांग में किया गया है तथा इसका नाम झुहाई एंड मकाउ रखा गया है. इस पुल का उद्घाटन बुधवार को किया जाएगा तथा स्कूल को उसी दिन आम जनता के लिए भी खोल दिया जाएगा, यह पुल जल या फल पर बनने वाला सबसे लंबा पुल होगा.
जी हां दोस्तों आपने सही सुना चाइना ने विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल तैयार किया है जिसकी लंबाई तकरीबन 54 किलोमीटर है. इस ब्रिज का निर्माण हांगकांग में किया गया है तथा इसका नाम झुहाई एंड मकाउ रखा गया है. इस पुल का उद्घाटन बुधवार को किया जाएगा तथा स्कूल को उसी दिन आम जनता के लिए भी खोल दिया जाएगा, यह पुल जल या फल पर बनने वाला सबसे लंबा पुल होगा.
पूल समय का फासला करेगा कम :
इस पूल में 4 लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है जो की तकरीबन 8.4 तक भूकंप की तीव्रता को झेल सकता है. स्कूल के बनने के बाद जो फैसला 4 घंटे में पूरा होता था वह मात्र 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा. इस पूल के परियोजना कार्य का विचार 2003 में आया था, जिसका कार्य 2009 में शुरू किया गया. इस पूल पर तकरीबन 17.3 अरब डॉलर का खर्च किया गया है.
इस पूल में 4 लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है जो की तकरीबन 8.4 तक भूकंप की तीव्रता को झेल सकता है. स्कूल के बनने के बाद जो फैसला 4 घंटे में पूरा होता था वह मात्र 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा. इस पूल के परियोजना कार्य का विचार 2003 में आया था, जिसका कार्य 2009 में शुरू किया गया. इस पूल पर तकरीबन 17.3 अरब डॉलर का खर्च किया गया है.
पुल में 60 एल्फिल टावर जितनी मजबूती :
इस पूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूल आधा समुन्द्र के ऊपर है तो आधा समुद्र के नीचे. इस पूल में 60 अल्फिल टावर जितनी स्टील खर्च की गई है और ये पुल इतना मजबूत है कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता वाली आंधी को भी झेल सकता है.
इस पूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूल आधा समुन्द्र के ऊपर है तो आधा समुद्र के नीचे. इस पूल में 60 अल्फिल टावर जितनी स्टील खर्च की गई है और ये पुल इतना मजबूत है कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता वाली आंधी को भी झेल सकता है.
संपादक : विशाल कुमार सिंह