अगर हमें सरिया अदालत नहीं दे सकते तो तो मुसलमानो के लिए अलग देश दो : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड।
जो हम 70 साल से भारत में भाईचारे का सेकुलरिस्म चलाते आ रहे है उसका अंजाम हमें अब मिलना शुरू होगया है, आज से 70 शाल पहले देश का बटवारा मजहब के नाम पर किया गया था लेकिन उसके बाद भी हम नहीं सुधरे और सेकुलर राष्ट्र बनाया और आज फिर से ये खाश समुदाय के लोग मजहब के नाम पर अलग देश की मांग कर रहे है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पिछले कुछ बीते दिनों में सरियत अदालतों की मांग की थी, जब ये मामला तूल पकड़ा और जब चौतरफा इसका विरोध सुरु हुआ तो कट्टरपंथी अपने असल एजेंडे पर वापस आ ही गये और अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है की अगर हमें भारत में सरियत अदालत नहीं मिल सकता तो हमें अलग देश देदो जहाँ हम सरियत अदालत को लगा सके।
अभी तो ये शुरुआत है, ये मांग तो अभी इन कट्टरपंथियों ने किया है लेकिन कही ये बात इनकी पूरी कॉम की तरफ से न उठनी सुरु हो जाये। आपको जानकर हैरानी होगी की पाकिस्तान की भी मांग इन लोगो ने 1930 के दशक में ही शुरू कर दी थी और 1947 में इन्होने अपनी मांग को पूरा करवाया।
ये मांग भले ही अभी हो रही हो लेकिन इतिहाश के पन्नो में हम झाँक ले की पहले क्या हुआ था और फीर से कही वही इतिहाश नहीं दुहरा दी जाये और फिर से हमारे देश का धर्म के आधार पर बटवारा नहीं होजाये।
जो हम 70 साल से भारत में भाईचारे का सेकुलरिस्म चलाते आ रहे है उसका अंजाम हमें अब मिलना शुरू होगया है, आज से 70 शाल पहले देश का बटवारा मजहब के नाम पर किया गया था लेकिन उसके बाद भी हम नहीं सुधरे और सेकुलर राष्ट्र बनाया और आज फिर से ये खाश समुदाय के लोग मजहब के नाम पर अलग देश की मांग कर रहे है।
अभी तो ये शुरुआत है, ये मांग तो अभी इन कट्टरपंथियों ने किया है लेकिन कही ये बात इनकी पूरी कॉम की तरफ से न उठनी सुरु हो जाये। आपको जानकर हैरानी होगी की पाकिस्तान की भी मांग इन लोगो ने 1930 के दशक में ही शुरू कर दी थी और 1947 में इन्होने अपनी मांग को पूरा करवाया।
ये मांग भले ही अभी हो रही हो लेकिन इतिहाश के पन्नो में हम झाँक ले की पहले क्या हुआ था और फीर से कही वही इतिहाश नहीं दुहरा दी जाये और फिर से हमारे देश का धर्म के आधार पर बटवारा नहीं होजाये।
सम्पादक : विशाल कुमार सिंह
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