हम राजनीती एवं इतिहास का एक अभूतपूर्व मिश्रण हैं.हम अपने धर्म की ऐतिहासिक तर्क-वितर्क की परंपरा को परिपुष्ट रखना चाहते हैं.हम विविध क्षेत्रों,व्यवसायों,सोंच और विचारों से हो सकते हैं,किन्तु अपनी संस्कृति की रक्षा,प्रवर्तन एवं कृतार्थ हेतु हमारा लगन और उत्साह हमें एकजुट बनाये रखता है.हम एक ऐसे प्रपंच में कदम रख रहें हैं जहां हमारे धर्म,शास्त्रों नियमों को कुरूपता और विकृति के साथ निवेदित किया जा रहा है.हम अपने धार्मिक ऐतिहासिक यथार्थता को समाज के सामने स्पष्ट करना चाहते है,जहाँ पुराने नियम प्रसंगगिक नहीं रहे.हम आपके विचारों के प्रतिबिंब हैं,हम आपकी अभिव्यक्ति के स्वर हैं और हम आपको निमंत्रित करते हैं,आपका अपना मंच 'BHARATIDEA' पर,सारे संसार तक अपना निनाद पहुंचायें!

104 वर्ष के प्रख्यात जवान ने अपना शरीर छोरा

ये कहानी आपको जरूर आत्म विश्वाश देगी इसका मै दावा कर सकता हूँ :




जहाँ एक तरफ शादी के बाद युवक और युवती  खुद को समेट लेते है, हमेशा साथ रहना चाहते है, एक दूसरे के साथ घूमना चाहते है, पार्टी करना चाहते है वही दूसरी तरफ है हमारे जवान जो की अपने बीवी से बच्चो से मिलो दूर रहकर देश की सेवा करते है, अपने जान की बाजी लगा देते है ताकि हम और हमारा परिवार चैन से सो सके। तो दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे जाबांज के बारे में जिसने शादी के बाद अपनी बीवी का चेहरा सात सालो तक नहीं देखा क्युकी उस जवान को अपने वतन की रक्षा करनी थी इसलिए आनेवाले 7 सालो के लिए इस जवान ने अपने देश को चुना न की अपनी पत्नी को।


सेना पर आतंकियों ने किया कायर की भाती फिर से हमला लेकिन हमारे जवानो ने दिया बेजोड़ जवाब, पढ़े पूरी खबर :

आज हम बात कर रहे है लेफ्टिंनेंट कर्नल इंद्रा सिंह रावत जिन्हे बाद में कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया। देव भूमि उत्तराखण्ड के पहले कीर्ति चक्र विजेता लेफ्टिंनेंट कर्नल इंद्रा सिंह रावत इस दुनिया में नहीं रहे, इन्होने रेसकोर्स में स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। आपको जानकर हैरानी होगी की लेफ्टिंनेंट कर्नल इंद्रा सिंह रावत की उम्र 104 वर्ष हो चुकी थी जब इन्होने अपना दम तोड़ा। 11रवि गढ़वाल राइफल्स टीम ने इनको अंतिम सलामी दी, इनका हरिद्वार में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और इनको  पूर्व एक्स सर्विस मैन के लोग भी सर्धांजलि देने पहुंचे थे।आपको हम बता दे की लेफ्टिंनेंट कर्नल इंद्रा सिंह रावत का जन्म 30 जनवरी 1915 को पौरी गढ़वाल के बघेली गाओ के किसान परिवार में हुआ था।

हमारे जवान दिन-रात एक करके इन कश्मीरियों की रक्षा करते है लेकिन देखे यही कश्मीर कैसे आतंकियों को छिपाने में मदद कर रहे है :


सम्पादक : विशाल कुमार सिंह

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