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योगी आदित्यनाथ का एक और कारनामा.

वो पवित्र शब्द जिसे हटाया गया था आंबेडकर जी के नाम से उसे फिर से जोड़ा योगी आदित्यनाथ ने।  





जैसा की आप सब को पता है की जातिवाद ने हमारा कितना नुकसान किया है , शायद यही कारन है की हम सक्छम होकर भी विश्व गुरु नहीं बन पाए। आजादी से पहले , आजादी के बाद और अभी भी हम जातिवाद पर लड़ते रहते है....... और दूसरे लोग खुद को मजबूत करने में लगे हुए है। हैरानी की बात तो तब होती है जब ये जातिवाद फ़ैलाने वाले नेता ही खुद को एकता का प्रतिक बताने लगते है। 

आपको जानकर ये हैरानी होगी की Dr. भीमराव अम्बेदकर का पूरा नाम  Dr. भीमराव रामजी अम्बेदकर था लेकिन .......  नेताओ ने अपनी नीचता दिखते हुए इनके नाम के साथ भी राजनीती की ताकि हिन्दुओ का जो दलित तबगा है उसको वोट बैंक के तरह इस्तेमाल किया जा सके और इस तबगे को आपने गौरवशाली इतिहास का एहसाह न हो सके। 

 अम्बेदकर करने का आलेकिन कहते है न हर अँधेरे के बाद एक उजाला होता और शायद अभी के समय में वो उजाला उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी  है ,  जिन्होंने उत्तरप्रदेश के राज्यपाल राम नाइक के सिफारिश पर ये आदेश दिया है की....... हर  सरकारी दस्तावेजों पर  , हर सरकारी रिकार्ड्स पर तथा जहाँ भी  Dr. भीमराव अम्बेदकर इस्तेमाल किया जा रहा है  वहां पर अब  Dr. भीमराव रामजीदेश दिया है। 

आपको जानकर हैरानी होगी दलित समाज ने इस फैसले का स्वागत किया है  , लेकिन हो सकता है भीम सेना के नाम पर जो लोग रोटी शेक रहे  थे उनको गहरी ठेश पहुंची होगी क्युकी उनकी अब वो गिरी हुई राजनीती नहीं हो पायेगी जो उन चंद नेताओ के लिए जो वोट बैंक की रोटी सेकना चाहते है । 

भारत आईडिया का विचार इस समाचार पर : ये एकअच्छा फैसला है उत्तरप्रदेश राज्य सरकार द्वारा क्यकि ये हमारे देश के लोगो को एक सूत्र में फ़िरोने का काम करेगा। लेकिन एक बात जरूर है योगी आदित्यनाथ से और नेताओ को सिख लेने की जरुरत है की अब तोरने की राजनीती छोड़कर हिंदुस्तान के लोगो को  जोड़ने की बात करे।    

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विशाल कुमार सिंह 
  



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