- हिन्दू धर्म पृथ्वी के उदगम से ही शुरू है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते ।
- पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं ।
- 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ,अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2018 वें वर्ष में पदार्पण किया है ।
- जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 को 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड 8 लाख 53 सहस्र 120 वां वर्ष आरंभ हो रहा है ।(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड या वर्ष)और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड वर्ष)नव संवत्सर 2075 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 18 मार्च 2018 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाए
- चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं ।
- भारतीय नववर्ष की विशेषता -
2.हिन्दुओं के लिए आने वाला संवत्सर 2075 बहुत ही भाग्यशाली होगा , क़्योंकि इस वर्ष भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार है, शुदी एवम ‘शुक्ल पक्ष एक ही है.
3.चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था।
4.हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है ,इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है।
5. हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।
6.पेड़-पौधों में फूल ,मंजर ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है, जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है ।
7.इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था ।
8.भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था।
9.नवरात्र की शुरुअात इसी दिन से होती है , जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।
10.परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है, इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है और वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है।
11.चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।
12.चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था ।
13.आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी
14.यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है , संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
15.कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता, पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी।
16.चारों ओर पकी फसल का दर्शन , आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें और हम अगर जरा , भारत के आभा मंडल के चारों देखे तो मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।
17.नई फसल घर में आने का समय भी यही है , इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है और लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं ।
18.गौरि और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है ।
19.सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प ले और इस वर्ष 18 मार्च 2018 रविवार को हिन्दू नववर्ष आ रहा है। सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दे।
20.आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।
संस्कृति के रक्चा के लिए आज हम प्रण ले की अपने सभी मित्रो को इस दिन की अहमियत बातएंगे और मिल कर इस पवन दिन का आनंद लेंगे।