हम राजनीती एवं इतिहास का एक अभूतपूर्व मिश्रण हैं.हम अपने धर्म की ऐतिहासिक तर्क-वितर्क की परंपरा को परिपुष्ट रखना चाहते हैं.हम विविध क्षेत्रों,व्यवसायों,सोंच और विचारों से हो सकते हैं,किन्तु अपनी संस्कृति की रक्षा,प्रवर्तन एवं कृतार्थ हेतु हमारा लगन और उत्साह हमें एकजुट बनाये रखता है.हम एक ऐसे प्रपंच में कदम रख रहें हैं जहां हमारे धर्म,शास्त्रों नियमों को कुरूपता और विकृति के साथ निवेदित किया जा रहा है.हम अपने धार्मिक ऐतिहासिक यथार्थता को समाज के सामने स्पष्ट करना चाहते है,जहाँ पुराने नियम प्रसंगगिक नहीं रहे.हम आपके विचारों के प्रतिबिंब हैं,हम आपकी अभिव्यक्ति के स्वर हैं और हम आपको निमंत्रित करते हैं,आपका अपना मंच 'BHARATIDEA' पर,सारे संसार तक अपना निनाद पहुंचायें!

लाल किले से ही तिरंगा क्यूं फहराया जाता है,95 प्रतिसत लोगों को जवाब नहीं है पता




नमस्कार दोस्तों आप सबका स्वागत है भारत आइडिया के इस  नए संस्करण के समाचार लेख में। भारत आइडिया के पाठकों आज इस लेख में हम बात करेंगे लाल किले के बारे में की आखिर क्यों यही से झंडोतोलन किया जाता है। 

समाचार पढ़ने से पहले एक गुजारिस है, हमारे फेसबुक पेज को  लाइक कर हमारे साथ जुड़े। 



दिल्ली का लाल किला अपनी खास पहचान रखता है। इस किले का महत्त्व और ज्यादा बढ़ जाता है जब यहाँ से स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया जाता है। लाल किले से फहराया गया तिरंगा देश की गौरव गाथा गाता हुआ प्रतीत होता है लेकिन तिरंगे को हर साल इसी किले से फहराते हुए देखने पर क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया कि तिरंगा हमेशा लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है जबकि ऐसी बहुत सी महान इमारतें इस देश का गौरव बढ़ा रही हैं। ऐसे में इस सवाल का जवाब जानने के लिए, आज जागरूक पर इसी बारे में बात करते हैं।

लाल किला ऐसी इमारत है जो मुग़ल काल से लेकर आजादी के दौर तक की बड़ी घटनाओं की गवाह रही है। इस ऐतिहासिक इमारत की बुनियाद 1639 में मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रखवाई थी। इस इमारत के निर्माण में 9 साल का समय लगा।




इस किले का रंग हमेशा से लाल नहीं था बल्कि इसके निर्माण के समय ये किला लाल और सफेद रंग में बनवाया गया था जो शाहजहाँ के पसंदीदा रंग थे। उस समय इस किले का नाम ‘किला-ए-मुबारक’ रखा गया था।समय बीतने के साथ किला अपनी चमक खोने लगा इसलिए अंग्रेजों के शासनकाल में इस पर लाल रंग करवा दिया गया और तब से इस किले का नाम लाल किला रख दिया गया।1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों पर जुल्म ढहाने के लिए इस किले के कई हिस्से जमींदोज करके वहां सेना की बैरकें और दफ्तर बना दिए थे।अंग्रेजों ने इस किले में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी बादशाह बहादुरशाह जफ़र को कैद कर लिया था।

मुग़ल सल्तनत के शासन काल से लेकर ब्रिटिश सत्ता के प्रभाव को करीब से देखने वाले इस लाल किले ने भारत देश के बहुत से अच्छे और बुरे घटनाक्रमों को देखा इसलिए आजाद भारत की शान तिरंगे को फहराने के लिए इसका चुनाव किया गया।भारत की आजादी के बाद लाल किले की प्राचीर से सबसे ज्यादा 17 बार तिरंगा फहराने का सौभाग्य भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को मिला।



आपकी इस समाचार पर क्या राय है,  हमें निचे टिपण्णी के जरिये जरूर बताये और इस खबर को शेयर जरूर करे। 



About