श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमन ठाकुर शहीद हो गए. अमन ठाकुर को पुलिस बल में शामिल होने का बहुत जुनून था. इसके लिए वो दो सरकारी नौकरियां छोड़कर पुलिस में शामिल हुए थे. ठाकुर की उम्र करीब 40 साल थी. पहली नौकरी उन्हें समाज कल्याण विभाग में मिली थी. इसके बाद वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए थे.
पुलिस विभाग में उनके एक करीबी मित्र ने बताया कि ठाकुर हमेशा से ही पुलिस बल में शामिल होना चाहते थे और उन्हें वर्दी पहनने का जुनून था. डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले ठाकुर 2011 बैच के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे. अब उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता और पत्नी सरला देवी और छह साल का बेटा आर्य है.पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह इस युवा पुलिस अधिकारी के साथ अपनी कई मुलाकातों को याद करते हुए अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके. सिंह ने कहा, "वह हमेशा जोश से लबरेज रहते और सामने से अपनी टीम का नेतृत्व करते." दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे.
ठाकुर के सर्वोच्च बलिदान के लिये उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने कहा, "दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं ठाकुर के परिवार के साथ हैं." उनके मित्र उन्हें उनकी सादगी, साफगोई और पेशेवर अंदाज के लिये याद करते हैं.
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