नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका भारत आइडिया में टो दोस्तो आज हम बात करने वाले है अपने देश के उन पराक्रमी राजाओं के बारे में जिनके पीठ पीछे हमला हुए .कहते हैं छाती पर वार करें वह मर्द होता है और जो पीठ पीछे से वार करें वह कायर होता है. भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे महाबली राजा हुए जिनसे दुश्मन थर थर कांपते थे और इसी कारण से वह उनके सामने से हमला करने से डरते थे, उन्हें दर लगता था कि अगर हम इनके साइन पर वार करेंगे तो हमारी ही मौत होगी. तो यह जानते हैं वह कौन से तीन पराक्रमी राजा है जिनके पीठ पीछे हमला किया गया.
राजा रतन सिंह :
खिलजी का दिल रानी पद्मिनी पर आ गया था और इसलिए वह राजा रतन सिंह से मिलने उनके महल में गए थे .राजा रतन सिंह ने उनके साथ एक मेहमान जैसा बर्ताव किया, लेकिन अलाउद्दीन ने रानी पद्मिनी को देखने की गुजारिश की इस बात पर राजा रतन सिंह गुस्से से आग बबूला हो गए, लेकिन फिर भी अलाउद्दीन खिलजी को बिना कुछ कहे वापस जाने दिया.क्योंकि राजा रतन सिंह यह मानते थे कि राजपूत के घर आया इंसान ईश्वर के समान होता है.पर वही जब राजा रतन सिंह उसके यहां मेहमान बं कर गए तो मेहमान नमाजी करने के बजाए खिलजी ने रहा रतन सिंह को बंदी बना लिया.
खिलजी का दिल रानी पद्मिनी पर आ गया था और इसलिए वह राजा रतन सिंह से मिलने उनके महल में गए थे .राजा रतन सिंह ने उनके साथ एक मेहमान जैसा बर्ताव किया, लेकिन अलाउद्दीन ने रानी पद्मिनी को देखने की गुजारिश की इस बात पर राजा रतन सिंह गुस्से से आग बबूला हो गए, लेकिन फिर भी अलाउद्दीन खिलजी को बिना कुछ कहे वापस जाने दिया.क्योंकि राजा रतन सिंह यह मानते थे कि राजपूत के घर आया इंसान ईश्वर के समान होता है.पर वही जब राजा रतन सिंह उसके यहां मेहमान बं कर गए तो मेहमान नमाजी करने के बजाए खिलजी ने रहा रतन सिंह को बंदी बना लिया.
टीपू सुल्तान :
टीपू सुल्तान एक मुस्लिम योद्धा थे जो अपने सांस के आखिरी क्षण तक अंग्रेजों के साथ मुकाबला करते रहे. टीपू सुल्तान एक मुस्लिम राजा होने के बावजूद हिंदू धर्म का आदर करते थे.टीपू सुल्तान अंग्रेजों को भारत से निकलवाने का पूरा प्रयास किया था, लेकिन अंग्रेजों ने एक षड्यंत्र रचा और धोखे से टीपू सुल्तान की हत्या कर दी.
टीपू सुल्तान एक मुस्लिम योद्धा थे जो अपने सांस के आखिरी क्षण तक अंग्रेजों के साथ मुकाबला करते रहे. टीपू सुल्तान एक मुस्लिम राजा होने के बावजूद हिंदू धर्म का आदर करते थे.टीपू सुल्तान अंग्रेजों को भारत से निकलवाने का पूरा प्रयास किया था, लेकिन अंग्रेजों ने एक षड्यंत्र रचा और धोखे से टीपू सुल्तान की हत्या कर दी.
संभाजी महाराज :
संभाजी महाराज एक ऐसे योद्धा थे जिन्हें हरा पाना बहुद ही मुश्किल था. उन्होंने अपने जीवन काल में 120 लड़ाइयां लड़ी थी, लेकिन एक भी लड़ाई नहीं हारे थे. औरंगजेब को यह बात समझ आ गई थी.औरंगजेब जानते थे वह संभाजी महाराज को नहीं हरा सकते। इसीलिए उन्होंने एक षड्यंत्र रचा और गणोजी शिर्के को धन का प्रलोभन देकर खरीद लिया.जब संभाजी महाराज गुप्त मीटिंग करने कहीं जा रहे थे उसी समय गणोजी शिर्के ने इसकी सूचना औरंगजेब को दे दी थी.जिस महान इंसान को 8 लाख लोग मिलकर पकड़ नहीं पाए थे, उन्हें सिर्फ दो हजार लोगों ने धोखे से बंदी बना लिया था.उस समय औरंगजेब ने कहा तू मेरे शरण में आजा, लेकिन उन्होंने कहा जिंदगी को न्योछावर कर दूंगा, लेकिन मुगलों के शरण में नहीं आऊंगा.
संभाजी महाराज एक ऐसे योद्धा थे जिन्हें हरा पाना बहुद ही मुश्किल था. उन्होंने अपने जीवन काल में 120 लड़ाइयां लड़ी थी, लेकिन एक भी लड़ाई नहीं हारे थे. औरंगजेब को यह बात समझ आ गई थी.औरंगजेब जानते थे वह संभाजी महाराज को नहीं हरा सकते। इसीलिए उन्होंने एक षड्यंत्र रचा और गणोजी शिर्के को धन का प्रलोभन देकर खरीद लिया.जब संभाजी महाराज गुप्त मीटिंग करने कहीं जा रहे थे उसी समय गणोजी शिर्के ने इसकी सूचना औरंगजेब को दे दी थी.जिस महान इंसान को 8 लाख लोग मिलकर पकड़ नहीं पाए थे, उन्हें सिर्फ दो हजार लोगों ने धोखे से बंदी बना लिया था.उस समय औरंगजेब ने कहा तू मेरे शरण में आजा, लेकिन उन्होंने कहा जिंदगी को न्योछावर कर दूंगा, लेकिन मुगलों के शरण में नहीं आऊंगा.