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भगवान विष्णु की मूर्ति जिसको 240 चक्को वाली ट्रक भी नहीं हिला पाई, जरूर पढ़े इस मूर्ति के बारे में ।

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका भारत आइडिया में तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे मंदिर के मूर्ति के बारे में जिसकी मूर्ति शिफ्ट करने की तमाम कोशिशें की गई, तमाम तरह की आधुनिक उपकरण इस्तेमाल किए गए लेकिन इस मंदिर की मूर्ति हिल भी नहीं पा रही, आखिर कारण क्या है इसके पीछे आज हमारे चर्चा का विषय यही होगा.


क्या है मामला :
जी हां दोस्त तो आपने सही सुना दरअसल बेंगलुरु  के एक मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति  की स्थापना होनी है, लेकिन इस मंदिर में जिस मूर्ति को स्थापित किया जाना है, वह पिछले दो साल से तमिलनाडु के तिरुवन्नमलई शहर में रखी हुई है.आखिर ऐसी क्या वजह है कि चाहकर भी इस मूर्ति को बेंगलुरु लाकर मंदिर निर्माण का कार्य अब तक पूरा नहीं किया जा सका .दरअसल भगवान विष्णु की इस मूर्ति में उनके 11 अवतारों को दिखाया गया है, साथ ही इस मूर्ति में श्रीहरि की 22 भुजाएं हैं , श्रीहरि के साथ उनके प्रिय शेषनाग जी इस मूर्ति में सात सिर के भव्य आभामंडल के साथ मौजूद हैं. इस मूर्ति का निर्माण सरकार या किसी संस्था द्वारा नहीं कराया गया है बल्कि एक रिटायर सरकारी डॉक्टर ने भगवान विष्णु के इस स्वरूप को स्थापित करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए 5 साल अथक प्रयास किया है.


कितनी भारी है मूर्ति :
पत्थर की शिला पर बनी भगवान विष्णु की यह मूर्ति 64 फीट लंबी है,इसका वजन 300 टन है सो  इस कारण इस मूर्ति को शिफ्ट करने में कई दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा है.अब प्रशासन इस मूर्ति को 240 टायरों वाले ट्रेलर के जरिए तिरुवन्नमलई से बेंगलुरु भेज रहा है, लेकिन इसकी यात्रा इतनी आसान नहीं होगी.240 टायरों वाले ट्रेलर पर सवार होकर भी यह मूर्ति बेंगलुरु पहुंचने में करीब 50 दिन लेगी.यह कहना है तिरुवन्नमलई के कलेक्टर के.एस. कंदसामी का. कंदसामी को सरकार की तरफ इस कार्य को पूरा करने के लिए नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है.


कैसे बेंगलुरु तक रास्ता तय करेगी मूर्ति :
मुंबई स्थित फर्म लॉजिस्टिक रेशमा सिंह ग्रुप के 30 सदस्यों का एक क्रू इस मूर्ति को शिफ्ट करने का कार्य कर रहा है. जहां इस मूर्ति का निर्माण हुआ है, उस क्षेत्र में मिट्टी ही मिट्टी है, जिस कारण इतने वजन के साथ आगे बढ़ने में दिक्कतें आ रही हैं और हालही हुई बारिश ने इस काम को क्रू के लिए और अधिक कठिन कर दिया है.शुरुआती तीन दिनों में यह मूर्ति चंद मीटर का ही सफर तय कर पाई.इस मूर्ति को मेन रोड तक लाने में 500 मीटर लंबा कीचड़ भरा रास्ता तय करना है, फिर थेल्लर-देसुर रोड पर पहुंचने के बाद आगे बढ़ने में दिक्कत नहीं आएगी.रोड पर पहुंचने के बाद जल्द ही नैशनल हाइवे 77 पर यह ट्रेलर आ जाएगा और यहीं से फिर बेंगलुरु का सफर तय करेगा.


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