जैसा की हम सब जानते है की हमारा सौरमंडल प्रमुख रूप से 8 ग्रहो से बना हुआ है और इसी सौरमंडल का हिस्सा हमारी धरती भी है जिसका की एक चाँद है और ये चाँद पृथ्वी के चारो तरफ अंडाकार कक्छ घूमती है। पृथ्वी, सूरज और चन्द्रमा की गतियों की वजह से चंद्रग्रहण लगता है, जो की छाया का साधारण सा खेल है जो सौरमंडल में घटित होता है। चंद्रग्रहण को अगर सीधे सब्दो में समझे तो, इसका सीधा जवाब है की चन्द्रमा का पृथ्वी के ओट में आजाना तो उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चन्द्रमा दूसरी तरफ और पृथवी बिच में होती है और जब चन्द्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्रग्रहण लगता है।
आपको ये जानना चाहिए की चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन परता है लेकिन हर पूर्णिमा चंद्रग्रहण के दिन नहीं परती, कारण है की पृथवी की कक्छ पर चन्द्रमा की कक्छ का झुके होना। ये झुकाओ तक़रीबन 5 डिग्री का है इसलिए चन्द्रमा पृथवी की छाया में प्रवेश नहीं कर पाता जिसके कारन चन्द्रमा या तो ऊपर या तो निचे से निकल जाता है। अगर हम बात करे सूर्यग्रहण की तो सूर्यग्रहण हमेसा अमावश्या के दिन ही होते है क्युकी चन्द्रमा का आकर पृथ्वी के आकर के मुकाबले 4 गुना कम है, इस कारन से इसकी छाया पृथ्वी के आकार के मुकाबले 4 गुना काम होती है और सूर्यग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है लेकिन चंद्रग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चन्द्रमा के मुकाबले काफी बरी होती है इसलिए चन्द्रमा को धरती की छाया से निकलने में समय लगता है और इसलिए ये ज्यादा वक़्त तक देखा जा सकता है।
सम्पादक : विशाल कुमार सिंह
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