कहते है की अपनी संस्कृति को हमने जान लिया तो हमने अपने धर्म को जान लिया इसी तर्ज पर हमारा आज का ये लेख माता सीता पर आधारित है की क्यों माता सीता रावण के मृत्यु का कारण बानी।
पौराणिक वेद कथाओ एयर धर्म ग्रंथो के अनुसार रावण संहिता में ये उल्लेख मिलता है की माँ सीता अपने पिछले जन्म में महर्षी कुशध्वज की पुत्री थी जिनका नाम वेदवती था।
देखिये वीडियो में किशान आन्दोलन के नाम पर कैसे बर्बाद किया जा रहा है दूध ,ये हमारे किशान भाई नहीं बल्कि
वो लोग है जो देश में शान्ति नहीं चाहते।
एक बार की बात है रावण भ्रमण करता हुआ हिमालये के घने जंगलो में जा पहुंचा, उस जंगल में रावण खो गया था और रास्ता खोजने की कोशिश कर रहा था तभी उसने एक स्त्री को तपस्या करते देखा। रावण तपस्या करती कन्या को देखकर कामातुर हो उठा और जाकर उस स्त्री की तपस्या भांग कर डाली और जबरदस्ती करने लगा। उस स्त्री ने अंततः पीड़ित होकर कहा मै वेदवती हु और परमतेजस्वी महर्षि कुशध्वज की पुत्री हु। मेरे पिता के इच्छा अनुसार मई भगवान विष्णु की पत्नी बनने हेतु तपस्या कर रही हु। मेरे पिता को संभु नामक दैत्य ने मार दिया। मेरे पिता के देहांत के दुःख में मेरी माँ ने खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया और अब हे निर्लज इंसान तूने मेरी तपस्या भंग करदी।
आज का ये वीडियो शायद आप देख कर भाभूक होजाये लेकिन आप ये वीडियो देखे इसमें भारतीय सेना के जवानो पर ये आतंकी कैसे छिप कर हमला कर रहे है और वीडियो भी आतंकियी ने ही बनाया है , जरूर देखे
ऐसा कहा जाता है और ग्रंथो में जिक्र है की देववती ने क्रोध में आकर कहा की, हे दुस्ट मै तुम्हारे वध के लिए फिर से किसी धर्मात्मा पुरुष के यहाँ जन्म लुंगी और ऐसा ही हुआ देववती अगले जन्म में राजा जनक को हल चलाते वक़्त जमींन में मिली जिसके बाद राजा जनक ने उस बच्ची को अपनी पुत्री का दर्जा दिया और उनका नाम रखा सीता। ये बच्ची और कोई नहीं बल्कि देववती ही थी जिसने फिर से जन्म लिया था रावण की मृत्यु के लिए।
सम्पादक : विशाल कुमार सिंह
पौराणिक वेद कथाओ एयर धर्म ग्रंथो के अनुसार रावण संहिता में ये उल्लेख मिलता है की माँ सीता अपने पिछले जन्म में महर्षी कुशध्वज की पुत्री थी जिनका नाम वेदवती था।
देखिये वीडियो में किशान आन्दोलन के नाम पर कैसे बर्बाद किया जा रहा है दूध ,ये हमारे किशान भाई नहीं बल्कि
वो लोग है जो देश में शान्ति नहीं चाहते।
एक बार की बात है रावण भ्रमण करता हुआ हिमालये के घने जंगलो में जा पहुंचा, उस जंगल में रावण खो गया था और रास्ता खोजने की कोशिश कर रहा था तभी उसने एक स्त्री को तपस्या करते देखा। रावण तपस्या करती कन्या को देखकर कामातुर हो उठा और जाकर उस स्त्री की तपस्या भांग कर डाली और जबरदस्ती करने लगा। उस स्त्री ने अंततः पीड़ित होकर कहा मै वेदवती हु और परमतेजस्वी महर्षि कुशध्वज की पुत्री हु। मेरे पिता के इच्छा अनुसार मई भगवान विष्णु की पत्नी बनने हेतु तपस्या कर रही हु। मेरे पिता को संभु नामक दैत्य ने मार दिया। मेरे पिता के देहांत के दुःख में मेरी माँ ने खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया और अब हे निर्लज इंसान तूने मेरी तपस्या भंग करदी।
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ऐसा कहा जाता है और ग्रंथो में जिक्र है की देववती ने क्रोध में आकर कहा की, हे दुस्ट मै तुम्हारे वध के लिए फिर से किसी धर्मात्मा पुरुष के यहाँ जन्म लुंगी और ऐसा ही हुआ देववती अगले जन्म में राजा जनक को हल चलाते वक़्त जमींन में मिली जिसके बाद राजा जनक ने उस बच्ची को अपनी पुत्री का दर्जा दिया और उनका नाम रखा सीता। ये बच्ची और कोई नहीं बल्कि देववती ही थी जिसने फिर से जन्म लिया था रावण की मृत्यु के लिए।
सम्पादक : विशाल कुमार सिंह
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