मंगल पांडेय संग एक और सख्स हुआ था सहीद जाने उस गुमनाम व्यक्ति के बारे में।
बैंगलोर :
आज हम बात करने जा रहे है 1857 की क्रांति जिसकी अंगार आज के ही दिन फुकी गयी थी , इस अंगार की शुरुआत करने वाले मंगल पांडेय थे जिन्होंने २ अंग्रेज अफसरों को मार डाला था और अंग्रेजी सत्ता को हिला के रख दिया था...... जिसके बाद मंगल पांडेय को फांसी की सजा सुनादी गयी थी और मै उम्मीद करता हूँ ये कहानी हर हिंदुस्तानी को पता होगी ।
लेकिन एक और सख्स था जिसको मंगल पांडे को सजा सुनाये जाने के बाद उस सख्स को भी सजा सुनाइ गयी थी लेकिन चाप्लूश इतिहासकरो और वामपंथियों ने इस सख्स का जिक्र इतिहाश में कही नहीं किया आज हम आपको उसी सख्स के बारे में बताने जा रहे है।
हम मंगल पांडेय के साथ जिस बलिदानी पुरुष को याद कर रहे है , उनका नाम ईश्वर प्रसाद पांडेय था। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर मै जिस सख्स की बात कर रहा हूँ उनका हमारे इतिहास में योगदान क्या रहा था तो सुनिए ..... जब मंगल पांडेय ने 1857 की क्रांति का बिगुल फुका और दो अंग्रेज अफसर ह्विसन और वोघ को मौत के घाट उतार था उस वक़्त ईश्वर प्रसाद पांडेय वही थे।
जब वो दोनों अंग्रेज अफसर जमीन पर गिरे हुए थे और लोगो से अपनी जान बचने की भीख मांग रहे थे तो , ईश्वर प्रसाद पांडेय ने लोगो को रोका था की इनकी मदद न करे क्यकि ये हमारे मित्र नहीं दुश्मन है और बखूबी मंगल पांडेय का साथ दिया था।
लेकिन ये घटनाये जब हो रही थी उस वक़्त वहां एक सख्स और मौजूद था जिसका नाम था पलटू शेख , इस सख्स ने मंगल पांडेय को रोकने की भी कोशिश की थी..... जब मंगल पांडेय २ अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतार रहे थे...... लेकिन ये सख्स अपने आकाओ को बचाने में नाकाम रहा।
इसी पलटू शेख ने अंग्रेजी हुकूमत की अदालत में मंगल पांडेय और ईश्वर प्रसाद पांडेय के खिलाफ गवाही दी और इसी गदार की वजह से हमने अपने दो वीर सपूतो को खो दिया था ।
भारत आईडिया के विचार इस समाचार पर : हमारा ख्याल है की अब समाये आ गया है की हम अपने वीरो को श्रद्धांजलि दे और उनको भी याद करे जिनका नाम इतिहास के पनो में दफन हो गया है।
अगर आपको मेरा समाचार पसन्द आया हो तो भारत विज़न के पेज को लाइक करना न भूले तथा हमें आप यूट्यूब पर भी सब्सक्राइब करके समाचर पा सकते हो जो देश हित में कारीगर हो।
विशाल कुमार सिंह
बैंगलोर :
आज हम बात करने जा रहे है 1857 की क्रांति जिसकी अंगार आज के ही दिन फुकी गयी थी , इस अंगार की शुरुआत करने वाले मंगल पांडेय थे जिन्होंने २ अंग्रेज अफसरों को मार डाला था और अंग्रेजी सत्ता को हिला के रख दिया था...... जिसके बाद मंगल पांडेय को फांसी की सजा सुनादी गयी थी और मै उम्मीद करता हूँ ये कहानी हर हिंदुस्तानी को पता होगी ।
लेकिन एक और सख्स था जिसको मंगल पांडे को सजा सुनाये जाने के बाद उस सख्स को भी सजा सुनाइ गयी थी लेकिन चाप्लूश इतिहासकरो और वामपंथियों ने इस सख्स का जिक्र इतिहाश में कही नहीं किया आज हम आपको उसी सख्स के बारे में बताने जा रहे है।
हम मंगल पांडेय के साथ जिस बलिदानी पुरुष को याद कर रहे है , उनका नाम ईश्वर प्रसाद पांडेय था। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर मै जिस सख्स की बात कर रहा हूँ उनका हमारे इतिहास में योगदान क्या रहा था तो सुनिए ..... जब मंगल पांडेय ने 1857 की क्रांति का बिगुल फुका और दो अंग्रेज अफसर ह्विसन और वोघ को मौत के घाट उतार था उस वक़्त ईश्वर प्रसाद पांडेय वही थे।
जब वो दोनों अंग्रेज अफसर जमीन पर गिरे हुए थे और लोगो से अपनी जान बचने की भीख मांग रहे थे तो , ईश्वर प्रसाद पांडेय ने लोगो को रोका था की इनकी मदद न करे क्यकि ये हमारे मित्र नहीं दुश्मन है और बखूबी मंगल पांडेय का साथ दिया था।
लेकिन ये घटनाये जब हो रही थी उस वक़्त वहां एक सख्स और मौजूद था जिसका नाम था पलटू शेख , इस सख्स ने मंगल पांडेय को रोकने की भी कोशिश की थी..... जब मंगल पांडेय २ अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतार रहे थे...... लेकिन ये सख्स अपने आकाओ को बचाने में नाकाम रहा।
इसी पलटू शेख ने अंग्रेजी हुकूमत की अदालत में मंगल पांडेय और ईश्वर प्रसाद पांडेय के खिलाफ गवाही दी और इसी गदार की वजह से हमने अपने दो वीर सपूतो को खो दिया था ।
भारत आईडिया के विचार इस समाचार पर : हमारा ख्याल है की अब समाये आ गया है की हम अपने वीरो को श्रद्धांजलि दे और उनको भी याद करे जिनका नाम इतिहास के पनो में दफन हो गया है।
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विशाल कुमार सिंह